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भारत का डीप ओशन मिशन, ये प्रोडक्ट ले जाएगा समुद्र में 6000 मीटर अंदर!

Deep Ocean Mission: भारत ने अपने पहले मानवयुक्त अंडरवाटर सबमर्सिबल की तैयारी पूरी कर ली है। यह स्वदेशी तकनीक डीप ओशन मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य समुद्र की 6,000 मीटर गहराई तक पहुंच बनाना है। इस सबमर्सिबल का निर्माण पूरी तरह से भारत में किया गया है, जो देश की वैज्ञानिक आत्मनिर्भरता और प्रौद्योगिकी में उन्नति का प्रमाण है। 

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने बताया कि यह मानवयुक्त अंडरवाटर व्हीकल समुद्र की गहराइयों में अनुसंधान और अन्वेषण के लिए डिजाइन किया गया है। इसे इस साल 500 मीटर गहराई तक पहुंचने के लिए परीक्षण किया जाएगा, जबकि 2026 तक इसे 6,000 मीटर की गहराई में काम करने के लिए सक्षम बनाया जाएगा। इस सबमर्सिबल को संचालन के लिए बड़े प्लेटफॉर्म और उन्नत ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम की जरूरत होगी। इसकी डिजाइन ऐसी है कि यह समुद्र की गहराइयों में लंबे समय तक प्रभावी तरीके से काम कर सके। 

भारत की ब्लू इकोनॉमी

इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत की ब्लू इकोनॉमी को बढ़ावा देना है। डीप ओशन मिशन के तहत समुद्र के भीतर खनिज, धातुओं और समुद्री जैव विविधता के स्रोतों का पता लगाया जाएगा। यह न केवल भारत की आर्थिक प्रगति में योगदान देगा, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता को भी मजबूत करेगा। 

यह सबमर्सिबल कटिंग-एज टेक्नोलॉजी का उपयोग करता है, जो समुद्र की अज्ञात गहराइयों तक पहुंचने और वहां मौजूद संसाधनों को समझने में मदद करेगा। इस पहल से भारत समुद्री अनुसंधान में अपनी उपस्थिति को मजबूत करेगा और अन्य देशों के साथ इस क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा कर सकेगा। 

डीप ओशन मिशन का उद्देश्य केवल महासागरों की गहराइयों का अन्वेषण करना नहीं है, बल्कि यह भारत के भविष्य के विकास के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलने का एक प्रयास है। यह मिशन गगनयान अंतरिक्ष मिशन जैसे अन्य ऐतिहासिक प्रयासों की तरह ही समयबद्ध तरीके से पूरा करने का लक्ष्य रखता है। महासागर की गहराइयों से खनिज और अन्य संसाधन निकालने की क्षमता भारत की आर्थिक और वैज्ञानिक प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

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