
जैसै-जैसै चुनाव नजदीक आ रहें है, वैसै-वैसै राजनीति में एक बार फिर मुफ्त की रेवड़ी का दौर शुरु हो रहा है। सभी राजनीतिक दल मतदाता को लुभाना चाहते है, इस बीच छत्तीसगढ़ एक नए मॉडल के तौर पर सामने आ रहा है, जहां रेवड़ी के साथ-साथ रोजगार के भी अवसर मुहैया कराए जा रहे हैं ताकि आम लोग आर्थिक तौर पर मजबूत तो बनें ही, साथ ही साथ अर्थव्यवस्था भी मजबूत बन सके। देश में चुनाव के करीब आते ही सरकारें खजानो का मुंह खोल देती हैं और मुफ्त की रेवड़ी का दौर शुरु कर देते हैं। छत्तीसगढ़ में भी कुछ ऐसा ही माहौल है लेकिन लोगों को रोजगार, किसानों को फसल का उचित दाम, व स्वास्थ्य और शिक्षा की बेहतर व्यवस्था के लिए बेहततर कदम उठाने पर चर्चा की जा रही है। औद्योगिक संस्थानों की कितनी मदद की जा सकती है इसके लिए बने रोड मैप पर सरकार की ओर से कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर
राज्य के बदलते हालात पर ध्यान दें तो एक बात साफ नजर आती है कि ग्रामीण छत्तीसगढ़ में आम लोगो की आय का सबसे बड़ा जरिया कृषि कार्य, वन उपज और पशुपालन पर निर्भर करता है। इसी के कारण सरकार सबसे पहले ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दे रही है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया कराने के लिए स्वामी आत्मानंद स्कूल की श्रृंखला की शुरुआत हुई है। इन स्कूलों में बच्चों को हिंदी व अंग्रेजी माध्यम में उत्कृष्ट शिक्षा मुहैया कराई जा रही है। इसी तरह स्वास्थ्य सेवा को दूरस्थ इलाकों तक पहुंचाने के लिए हाट बाजार क्लीनिक की शुरुआत की गई है। बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता दिया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार ने रेवड़िया बांटने में कसर छोड़ी हो, लेकिन किसान कर्ज माफी, बिजली बिल में कटौती, बेरोजगारी भत्तों जैसै मुद्दों ने आर्थिक स्थिति पर बोझ बढ़ने का काम किया है।
यह भी पढ़ें: http://जिम्बाब्वे के दिग्गज क्रिकेटर का 49 साल की उम्र में निधन, क्रिकेट जगत में छाई उदासी