
बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) अपने पंजाब दौरे पर थे। मौसम खराब होने की वजह वे सड़क मार्ग से ही अपने कार्यक्रम स्थल के लिए रवाना हुए। लेकिन इस दौरान रास्ते में प्रदर्शनकारियों ने पीएम मोदी के काफिले को रोक दिया। प्रधानमंत्री करीब 20 मिनट कर प्रदर्शनस्थल पर ही रहे। बाद में उन्हें बिना कार्यक्रम किए ही दिल्ली लौटना पड़ा। मामले में गृहमंत्रालय सख्त हो गया है और कहा है कि पंजाब पुलिस ने ब्लू बुक (Blue Book) का पालन नहीं किया।
क्या है Blue Book?
बता दें कि ब्लू बुक (Blue Book) एक तरह का प्रोटोकॉल है जिसका इस्तेमाल प्रधानमंत्री के किसी भी दौरे से पहले किया जाता है। इसमें केंद्रीय एजेंसियां और राज्य पुलिस बल शामिल होते हैं। ब्लू बुक (Blue Book) में प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश होते हैं और उसी के मुताबिक, प्रधानमंत्री की सुरक्षा की रचना की जाती है।
प्रधानमंत्री की पहले निर्धारित की गई यात्रा से तीन दिन पहले, पीएम की सुरक्षा की जिम्मेदारी रखने वाली एसपीजी (विशेष सुरक्षा समूह) द्वारा एक हाई लेवल मीटिंग की जाती है। इसे एएसएल (Advance Security Liaison) कहते हैं। इसमें पीएम के कार्यक्रम से जुड़े आधिकारिक लोग, संबंधित राज्य में इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी, राज्य के पुलिस अधिकारी और संबंधित जिला मजिस्ट्रेट शामिल होते हैं। प्रधानमंत्री के सभी कार्यक्रम को लेकर प्रत्येक बिंदुओं पर चर्चा की जाती है। बैठक खत्म होने के बाद एएसएल रिपोर्ट तैयार की जाती है और उसी के आधार पर सारे इंतजाम किए जाते हैं।
ब्लू बुक के अनुसार, प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी जवानों के साथ-साथ राज्य पुलिस के हाथों में भी होती है। किसी भी विपरित स्थिति में राज्य पुलिस को प्रधानमंत्री की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए आकस्मिक मार्ग तैयार करना होता है। किसी भी बदलाव और अप्रत्याशित घटनाक्रम पर राज्य पुलिस एसपीजी को जानकारी देती है। जिसके बाद उसी सूचना के आधार पर पीएम के मूवमेंट में बदलाव किया जाता है।
VIP रूट का प्रोटोकॉल क्या है?
प्रधानमंत्री और अन्य वीआईपी दौरे के लिए हमेशा ही दो रूट तय होते हैं। इस रूट की जानकारी किसी को पहले से नहीं होती है। एसपीजी ही इस रूट का चुनाव करती है। हालांकि परिस्थियों के मुताबिक, रूट को एसपीजी कभी भी बदल सकती है। पूरे दौरे या कार्यक्रम के दौरान राज्य पुलिस और एसपीजी के बीच बेहतर तालमेल होता है।
इस संबंध में पीएम की सुरक्षा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी की हवाई यात्रा के लिए एक हेलीकॉप्टर को 1,000 मीटर दृश्यता की आवश्यकता होती है। “कई बार सर्दियों के दौरान, पीएम को कोहरे के कारण सड़क मार्ग से जाना पड़ता है। अगर किसी वजह से सड़क मार्ग को क्लियरेंस नहीं मिलती तो राज्य पुलिस इसकी अनुमति नहीं देती है। ऐसे में यात्रा रद्द कर दी जाती है।”
सिविल ड्रेस में होते हैं एनएसजी कमांडो
बता दें कि प्रधानमंत्री की कार बुलेटप्रूफ होती है। हमलावरों को गुमराह करने के लिए पीएम के काफिले में दो डमी कारें भी शामिल होती हैं। इसके अलावा कारों पर जैमर एंटिना लगे होते हैं। ये एंटिना सड़क के दोनों ओर रखे गए बमों को 100 मीटर की दूरी पर डिफ्यूज करने में सक्षम होते हैं। इन सभी कारों पर NSG के सटीक निशानेबाजों का कब्जा होता है। इसके अलावा काफिले में सिविल ड्रेस में एनएसजी के कमांडो मौजूद होते हैं।