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वक्फ बोर्ड बिल में क्या-क्या है, किसे फायदा, किसे नुकसान…कौन होता है बोर्ड का सीईओ…समझें पूरा गणित

Waqf Amendment Bill 2025 : लोकसभा में आज यानी बुधवार को वक्फ संशोधन बिल पर बहस जारी है। इस विधेयक में वक्फ बोर्ड के प्रबंधन और पारदर्शिता को बेहतर बनाने के लिए कई बदलाव किए गए हैं। बीजेपी ने अपने सभी लोकसभा सांसदों को सरकार के समर्थन में वोट करने के लिए कहा है। वहीं, विपक्ष ने इस बिल का विरोध क‍िया है। इस बीच, वक्फ बोर्ड के सीईओ की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। तो आइए, यहां जानते हैं कि वक्फ बोर्ड के सीईओ कौन होते हैं, उनकी क्या जिम्मेदारियां होती हैं और उन्हें कितनी सैलरी मिलती है। लेकिन इससे पहले हम यह जान लेते हैं कि वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 में क्या है-

वक्फ बिल लाने का सरकार का उद्देश्य क्या है?

8 अगस्त 2024 को सरकार ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 और मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024 पेश किए थे। इनका मकसद वक्फ बोर्ड के प्रशासन को अधिक व्यवस्थित बनाना और वक्फ अधिनियम, 1995 में जरूरी बदलाव करना था। इस बिल के तहत वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार लाने, कानूनी विवादों को हल करने और प्रशासनिक बाधाओं को दूर करने का प्रयास किया गया है।

भारत में वक्फ मैनेजमेंट के लिए जिम्मेदार प्रशासनिक निकाय कौन से हैं और उनकी भूमिकाएं क्या हैं?

भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन की जिम्मेदारी केंद्रीय वक्फ परिषद, राज्य वक्फ बोर्ड और वक्फ ट्रिब्यूनल पर होती है। केंद्रीय वक्फ परिषद सरकार और राज्य वक्फ बोर्डों को नीतिगत सलाह देती है, जबकि राज्य वक्फ बोर्ड वक्फ संपत्तियों की देखभाल करता है। वक्फ ट्रिब्यूनल वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों के निपटारे के लिए गठित एक विशेष न्यायिक निकाय है।

वक्फ बोर्ड से संबंधित मुद्दे क्या हैं?

वक्फ प्रबंधन को लेकर लंबे समय से कई समस्याएं बनी हुई हैं। ‘एक बार वक्फ, हमेशा वक्फ’ का सिद्धांत कई विवादों को जन्म दे चुका है। वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जों, मिसमैनेजमेंट और कानूनी विवादों की वजह से इनका सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। वक्फ अधिनियम, 1995 और इसका 2013 का संशोधन प्रभावकारी नहीं रहा है जिसकी वजह से वक्फ भूमि पर अवैध कब्ज़ा, कुप्रबंधन और मालिकाना हक का विवाद, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन और सर्वेक्षण में देरी, बड़े पैमाने पर मुकदमों को लेकर चिंताएं जाहिर की जाती रही हैं। गुजरात और उत्तराखंड जैसे राज्यों में अब तक वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण नहीं हुआ है, जबकि उत्तर प्रदेश में 2014 में शुरू किया गया सर्वेक्षण अब भी अधूरा है।

विधेयक में कौन- कौन से संशोधन की मांग की गई :

  1. वक्फ संपत्तियों से जुड़े मामलों में राज्य सरकार का नियंत्रण और भूमिका बनी रहेगी।
  2. संपत्ति वक्फ की है या नहीं, यह तय करने के लिए राज्य सरकार कलेक्टर की रैंक से ऊपर के अधिकारी को नियुक्त कर सकती है।
  3. मौजूदा पुरानी मस्जिदों, दरगाह या अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थानों से छेड़छाड़ नहीं होगी यानी कानून पुरानी तारीख से लागू नहीं होगा। यह सुझाव जेडीयू की ओर से दिया गया था जिसे स्वीकार कर लिया गया है।
  4. औकाफ की सूची गजट में प्रकाशन के 90 दिनों के भीतर पोर्टल पर अपडेट करनी होगी।
  5. वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा दो सदस्य गैर मुस्लिम भी होंगे।
  6. वक्फ बोर्ड में वक्फ मामलों से संबंधित संयुक्त सचिव पदेन सदस्य होंगे।

इनमें से कुछ प्रावधानों को लेकर विवाद भी खड़ा हो सकता है। जैसे-

वक्फ परिषद/बोर्ड में बढ़ाई जाएगी गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या

धारा 11 के तहत संशोधन स्वीकार किया गया है, जिसके अनुसार पदेन सदस्य (ex-officio member)- चाहे वे मुस्लिम हों या गैर-मुस्लिम- उन्हें गैर-मुस्लिम सदस्यों की गिनती में शामिल नहीं किया जाएगा। अब समिति में दो गैर-मुस्लिम सदस्य (हिंदू या अन्य धर्मों के लोग) हो सकते हैं, और इनके अलावा राज्य सरकार का एक अधिकारी भी जोड़ा जाएगा।

वक्फ संपत्ति दान करने के लिए इस्लाम का पालन साबित करना होगा

बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या द्वारा प्रस्तावित विवादास्पद धारा 14 को विधेयक में शामिल कर लिया गया है। इस संशोधन के अनुसार, कोई भी व्यक्ति तभी अपनी संपत्ति वक्फ कर सकेगा, जब वह कम से कम पांच वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो। इसके अलावा, संपत्ति को वक्फ करने में कोई धोखाधड़ी न हो, इसका भी प्रमाण आवश्यक होगा।

वक्फ ट्रिब्यूनल में अब तीन सदस्य होंगे

पहले ट्रिब्यूनल में केवल दो सदस्य होते थे, लेकिन संशोधन के बाद अब इसमें तीसरा सदस्य एक इस्लामिक स्कॉलर होगा।

कलेक्टर की जगह जांच के लिए नियुक्त होगा वरिष्ठ अधिकारी

पहले, वक्फ संपत्तियों का सर्वेक्षण और निगरानी करने का जिम्मा कलेक्टर के पास था। अब यह जिम्मेदारी किसी वरिष्ठ अधिकारी को सौंपी जा सकती है, जिसे राज्य सरकार नियुक्त करेगी।

वक्फ बोर्ड के सीईओ कौन होते हैं

वक्फ बोर्ड के सीईओ की भूमिका भी इस पूरे ढांचे में बेहद अहम है। वक्फ अधिनियम, 1995 के अनुसार, सीईओ वक्फ की आय, संपत्तियों की सुरक्षा, उनके सही इस्तेमाल और कानूनी मामलों की निगरानी की जिम्मेदारी निभाते हैं। वे वक्फ बोर्ड के कर्मचारियों की नियुक्ति करते हैं, उनकी कार्यप्रणाली पर नजर रखते हैं और राज्य तथा केंद्र सरकार के साथ समन्वय स्थापित करते हैं। साथ ही, वक्फ संपत्तियों के विकास से जुड़ी सरकारी योजनाओं को लागू करने में मदद करते हैं।

कितनी मिलती है सैलरी?

सीईओ की सैलरी को लेकर एक खास व्यवस्था है। वक्फ बोर्ड के सीईओ आमतौर पर IAS या PCS अधिकारी होते हैं, जिन्हें यह अतिरिक्त जिम्मेदारी दी जाती है। इसके लिए उन्हें अलग से सैलरी नहीं दी जाती, बल्कि वे अपनी पहले से निर्धारित सैलरी पर ही कार्य करते हैं।

यह भी पढ़ें : TDP के तीनों संशोधन मंजूर, वक्फ संशोधन बिल को समर्थन देगी चंद्रबाबू नायडू की पार्टी

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