
Uttar Pradesh : महाकुंभ में किन्नर जगद्गुरु हिमांगी सखी पर जानलेवा हमला हुआ है, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गईं। हिमांगी सखी ने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर हमला करने का आरोप लगाया है। यह हमला शनिवार देर रात सेक्टर- 8 स्थित कैंप में हुआ, जहां इसके फुटेज भी सामने आए हैं।
हिमांगी सखी का कहना है कि लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी अपने साथ 50-60 लोगों को लेकर आईं थीं, जिनके पास त्रिशूल, फरसा जैसे खतरनाक हथियार थे। हिमांगी सखी ने यह भी बताया कि वह लगातार ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाए जाने का विरोध कर रही थीं, जो कि किन्नर अखाड़े में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका था।
हिमांगी सखी बोलीं- लक्ष्मी नारायण अपने साथ हमलावर लेकर आईं
किन्नर जगदगुरु हिमांगी सखी ने बताया- मैं इस समय सेक्टर-8 में रह रही हूं। कल रात मैं अपने सेवादारों के साथ शिविर में थी। रात करीब 9.50 बजे किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी अपने साथ पवित्रा, कलावती मां, कौशल्या नंदगिरी उर्फ टीना मां, कलकेश्वरी, आशानाथ के साथ मेरे पास पहुंचीं। ये लोग 10-12 गाड़ियों में 50 अन्य लोगों के साथ लाठी-डंडे, हॉकी, रॉड, तलवार, फरसा, त्रिशूल और असलहे लेकर मेरे शिविर में घुस आए।
मेरी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी को पकड़ लिया। लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी और उनके साथियों ने जान से मारने की नीयत से मुझ पर हमला किया। मुझे लात, मुक्के, घूसों और डंडे से बुरी तरह मारा पीटा। इससे मैं गंभीर रूप से घायल हो गई। मेरे सभी सेवादार इन लोगों के हाथ-पैर जोड़ते रहे। लेकिन, इन लोगों ने किसी की बात नहीं सुनी। ये लोग मेरे पास रखे हुए करीब 10 लाख रूपये व सोने के आभूषण व जेवरात लूट लिए।|
जाते जाते लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी व उनके साथ के लोग मुझे भद्दी-2 गालियां तथा धमकी दी। कि यदि तुम ऐसे ही मीडिया में लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी के खिलाफ बयान बाजी करती रहोगी तो हम लोग तुम्हें जान से खत्म कर देंगे। इस घटना की वीडियो रिकार्डिंग सीसीटीवी में मौजूद है।
हमले से पहले ही दोबारा अखाड़े से जुड़ी थीं हिमांगी सखी
शनिवार की सुबह बगावत करने वाली हिमांगी सखी एक बार फिर किन्नर अखाड़े से जुड़ी। महाकुंभ में वह लगातार किन्नर अखाड़े के खिलाफ बगावत कर रही थीं, लेकिन अब आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी की उपस्थिति में वह अखाड़े से जुड़ गईं।
महाकुंभ से पहले हिमांगी सखी को परी अखाड़े ने जगतगुरु नियुक्त किया था। दो दिन पहले, हिमांगी सखी ने किन्नर मुस्कान को महामंडलेश्वर बना दिया था, लेकिन बाद में उसे हटा लिया। इस दौरान किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरि और कल्याणी नंद गिरि भी इस घटनाक्रम में शामिल थीं।
अब पढ़िए कौन हैं हिमांगी मां उर्फ हिमांगी सखी
महामंडलेश्वर हिमांगी सखी मूल रूप से मुंबई की निवासी हैं। माता-पिता के निधन और बहन की शादी के बाद वे वृंदावन चली गईं, जहां उन्होंने गुरु की शरण में रहकर शास्त्रों का अध्ययन किया। गुरु की आज्ञा से धर्म का प्रचार करने के लिए वे वृंदावन छोड़कर मुंबई लौट आईं। मुंबई में उन्होंने फिल्मों में भी अभिनय किया, लेकिन उनका मन हमेशा धर्म की ओर ही लगा रहा। अंततः उन्होंने सब कुछ छोड़कर हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में अपना जीवन समर्पित कर दिया।
पशुपतिनाथ पीठ से मिली महामंडलेश्वर की उपाधि
हिमांगी सखी को महामंडलेश्वर की उपाधि पशुपतिनाथ पीठ अखाड़े से प्राप्त हुई है, जो नेपाल में स्थित है। 2019 में प्रयागराज के कुंभ में, नेपाल के गोदावरी धाम स्थित आदि शंकर कैलाश पीठ के आचार्य महामंडलेश्वर गौरीशंकर महाराज ने उन्हें पशुपतिनाथ पीठ की महामंडलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया। अब तक महामंडलेश्वर हिमांगी सखी ने बैंकॉक, सिंगापुर, मॉरीशस, मुंबई, पटना सहित कई अन्य स्थानों पर 50 से अधिक भागवत कथाओं का आयोजन किया है।
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