नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले में Supreme Court की टिप्पणी

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की हत्या से संबंधित जांच और मुकदमे की निगरानी फिर से शुरू करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया वह इस मामले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि, न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को एक रास्ता देते हुए कहा कि वे ऐसी कोई भी तथ्य कोर्ट को सौप सकते हैं जो मामले की प्रगति के लिए उपयोगी हो।
Supreme Court: निगरानी बंद करने का किया था फैसला
शीर्ष अदालत 18 अप्रैल, 2023 के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसके तहत हाई कोर्ट ने मामले में प्रगति की निगरानी बंद करने का फैसला किया था। न्यायमूर्ति एएस गडकरी और पीडी नाइक की उच्च न्यायालय बेंच ने राय दी थी कि जांच की आगे की निगरानी आवश्यक नहीं होगी क्योंकि चार्जशीट दायर किया गया है और मुकदमा चल रहा है।
Supreme Court: अगस्त 2013 में दायर की गई याचिका
अंधविश्वास विरोधी संगठन, महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक और प्रमुख दाभोलकर की अगस्त 2013 में कथित तौर पर सनातन संस्था नामक कट्टरपंथी संगठन के सदस्यों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। 2014 में जांच अपने हाथ में लेने के बाद, केंद्रीय जांच ब्यूरो ने हत्या के मामले में आरोपी पांच लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। उन याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए जो चाहते थे कि उच्च न्यायालय मामले की निगरानी जारी रखे।
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