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बिहार की जनता के लिए आज सबसे बड़ा दिन-उमेश सिंह कुशवाहा

Umesh Singh

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Umesh Singh: बिहार विधानसभा में सर्वसम्मति से आरक्षण संसोधन विधेयक-2023 पारित होने पर बिहार जेडीयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने खुशी जताई। उन्होंने कहा, यह बिहार की जनता के लिए सबसे बड़ा दिन है। इतिहास के पन्नों में 9 नवंबर की तारीख और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नाम हमेशा के लिए दर्ज हो गया।

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Umesh Singh: महत्वपूर्ण विधेयक को पारित कराने पर जताया आभार

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जाति आधारित गणना के आधार पर आरक्षण के दायरे को बढ़ाने का ऐतिहासिक फैसला सामाजिक न्याय के साथ विकास के लक्ष्य को साकार करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। इस अतिमहत्वपूर्ण विधेयक को पारित कराने के लिए सभी सदस्यों का आभार प्रकट करते हैं। हिस्सेदारी के अनुरूप आनुपातिक भागीदारी आज समय की मांग है।

Umesh Singh: ‘नीतीश ने सिद्ध किया, क्यों हैं वो पिछड़ों के बड़े नेता’

वह बोले, बीते सालों में अनुसूचित जाति-जनजाति एवं पिछड़ा-अतिपिछड़ा की आबादी बढ़ी है। लिहाजा इसकी जरुरतों को समझते हुए नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति के आरक्षण को 16 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी, अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को 1 फीसदी से बढ़ाकर 2 फीसदी को और पिछड़ा-अतिपिछड़ा के आरक्षण को 27 फीसदी से बढ़ाकर 43 फीसदी करने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने फैसलों से पुनः एक बार सिद्ध कर दिया कि उन्हें देशभर में दलितों-पिछडों का सबसे बड़ा नेता क्यों कहा जाता है।

Umesh Singh: ‘नीतीश ने ही सुनिश्चित की महिलाओं की 50 प्रतिशत भागीदारी’

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति का एकमात्र उद्देश्य दबे-कुचले, कमजोर, शोषित एवं वंचित वर्गों को सशक्त जीवन प्रदान करने का रहा है। बतौर मुख्यमंत्री उनके 18 वर्षों का कार्यकाल इन्हीं वर्गों के लिए समर्पित रहा है। उन्होंने सत्ता की बागडोर संभालते ही सबसे पहले नगर निकाय एवं पंचायती राज्य में अतिपिछड़ों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित किया है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार की महिलाओं की 50 फ़ीसदी राजनीतिक भागीदारी को मूर्त रूप दिया गया।

Umesh Singh: ‘केंद्र सरकार से मांग, बढ़ाएं आरक्षण का दायरा’

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, हमारा स्पष्ट मानना रहा है कि अंतिम पायदान पर खड़े समाज जो तमाम विसंगतियों के कारण आर्थिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक रूप से पिछड़ गए थे, उन्हें उचित अवसर प्रदान किए बगैर किसी भी सशक्त राष्ट्र एवं समाज की परिकल्पना नामुमकिन है। केंद्र सरकार से भी हमारी मांग है कि देशभर में जातीय जनगणना के कार्य को पूर्ण करवाकर एवं आरक्षण के दायरे को बढ़ाकर अनुसूचित जाति-जनजाति एवं पिछड़ा-अतिपिछड़ा की अनुपातिक भागीदारी को सुनिश्चित करें।

रिपोर्टः सुजीत श्रीवास्तव, ब्यूरोचीफ, बिहार

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