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Electoral Bonds: राजनीतिक फंडिंग के बारे में जानने के लिए लोगों के पास नहीं है अधिकार

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Electoral Bonds: चुनावी बांड की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से पहले भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा है कि नागरिकों को राजनीतिक दलों की फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार नहीं है। बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल ने ये बात सुप्रीम कोर्ट को लिखित रूप में कहा। सरकार के वकील ने चुनावी बांड योजना का बचाव करते हुए कहा कि यह किसी भी मौजूदा अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है और इसे संविधान के भाग- 3 के तहत किसी भी मौलिक अधिकार के प्रतिकूल नहीं कहा जा सकता है।

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Electoral Bonds: कानून को नहीं किया जा सकता रद्द

सरकार के वकील अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि “जो कानून इतना प्रतिकूल नहीं है उसे किसी अन्य कारण से रद्द नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि “इन निर्णयों को यह नहीं समझा जा सकता कि किसी नागरिक को कला के तहत सूचना का अधिकार है। 19(1)(ए) राजनीतिक दल की फंडिंग के संबंध में। यदि अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत कोई अधिकार नहीं है, तो अनुच्छेद 19(2) के तहत उचित प्रतिबंध लगाने का सवाल ही नहीं उठता है,”।

संविधान के दायरे में है चुनावी बांड योजना

एजी वेंकटरमणी ने आगे कहा कि चुनावी बांड योजना “संविधान के अनुच्छेद- 19(2) के दायरे में है” जो सरकार को मौलिक अधिकारों के प्रयोग पर उचित प्रतिबंध लगाने की अनुमति देती है। राजनीतिक दलों की फंडिंग में पारदर्शिता के लिए याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए तर्कों का जवाब देते हुए, वकील ने कहा कि इस तरह का “लोकतंत्र के सामान्य स्वास्थ्य के बारे में जानने का अधिकार” बहुत अधिक व्यापक होगा।

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