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Russia Ukraine War: महायुद्ध को हुआ एक साल, जंग में दोनों देश हुए बेहाल

New Delhi: आज रूस और यूक्रेन के बीच जारी युध्द को एक साल पूरा हो गया है। 24 फरवरी को जब रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युध्द को एलान किया था, उस वक्त माना जा रहा था कि इस युध्द में यूक्रेन कुछ ही हफ्तों में खत्म हो जाएगा लेकिन आज साल भर बाद भी यूक्रेन रूस के खिलाफ युध्द के इस मैदान में खड़ा है। वर्तमान स्थिति की बात करें तो आज भी दोनों देशों में तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। जहां एक तरफ शक्तिशाली देश रूस ने लगातार गोलाबारी कर खुबसूरत देश यूक्रेन को खंडहर में तबदील कर दिया तो वहीं दूसरी तरफ यूक्रेन ने भी अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रूस के आगे घुटने नहीं टेकें हैं।

यूक्रेन का हुआ भारी नुकसान

रूस के खिलाफ जारी युध्द में यूक्रेन को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है। विशेषज्ञों की माने तो इस युध्द में यूक्रेन के 1 लाख से भी अधिक सैनिकों को जान गवानी पड़ी। दिस्मबर 2022 में आई ABP न्यूज़ की एक खबर के मुताबिक यूक्रेन के 40 हज़ार से भी अधिक नागरिकों की मौत हो चुकी है। आपको बता दें कि जानमाल के खतरे से बचाव के लिए लाखों नागरिकों ने यूक्रेन छोड़कर दूसरे देशों में शरण ले ली है। यदि बात की जाए सैन्य क्षति की तो यूक्रेन के हजारों ड्राँन और विमानों को रूसी सेना ने नष्ट कर दिया है। जानकारों के मुताबिक युध्द के कारण यूक्रेन की आर्थिक हालत इतनी खस्ता हो गई है कि बिना दूसरे देशों की मदद के यूक्रेन को वापस अच्छी स्थिति पर पहुंचने में लगभग 20 साल लग जाएंगे।

दोनों देशों के बीच युध्द का कारण

रूस और यूक्रेन के बीच तनातनी काफी पुरानी है लेकिन 24 फरवरी 2022 को जब रूस ने यूक्रेन पर एक के बाद एक हमले किए तो यूक्रेन की मुश्किलें ओर बढ़ती चली गई। आइए जानते हैं आखिर लाखों लोगों के मौत की वजह बने इस युध्द के पीछे का मुख्य कारण क्या है। दरअसल पश्चिमी देश यूक्रेन की ताकत और संप्रभुता को बढ़ाने के लिए यूक्रेन को नाटो में शामिल करना चाहते हैं। आपको बता दें कि नाटो पश्चिमी देशों का एक संगठन है, जो कि अपने सदस्य देशों को कूटनीतिक सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसे में पश्चिमी देशों का मानना है कि यदि यूक्रेन के नाटो में शामिल होता है तो यूक्रेन की ताकत में इजाफा होगा। वहीं दूसरी तरफ रूस यूक्रेन के जरिए नाटो को उसकी सीमा तक विस्तार करने को खतरे के रूप में देखता है। आज से एक साल पहले यूक्रेन लगातार नाटो में शामिल होने की बात कह रहा था, जिसमें पश्चिमी देश यूक्रेन का समर्थन कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ रूस लगातार चेतावनी दे रहा था। इसी के चलते 24 फरवरी को रूस ने यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई कर दी, जिसके परिणामस्वरूप लाखों लोगों की जान चली गई।

यूक्रेन में स्थायी शांति का प्रस्ताव

बृहस्पतिवार को संयुक्त राष्ट्र की महासभा में यूक्रेन और उसके सर्मथकों द्वारा यूक्रेन में स्थायी शांति के लिए प्रस्ताव लाया गया। इस प्रस्ताव के पक्ष में 141 देशों ने वोट करते हुए कहा कि रूस की सेना को शांति के लिए यूक्रेन की सीमा से निकलना चाहिए। इस प्रस्ताव के विरोध में 7 देशों ने वोट किया, जिसमें रूस, बेलारूस, उत्तर कोरिया, सीरिया, माली, एरिट्रिया और निकारागुआ शामिल हैं। 32 देश ऐसे भी रहे, जिन्होंने यूएन प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं की, इसमें भारत का भी नाम शामिल है।

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