
Punjab Flood 2025 : पंजाब के जल संसाधन मंत्री श्री बरिंदर कुमार गोयल ने पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में बाढ़ प्रभावित परिवारों, किसानों और बुनियादी ढांचे की बहाली के लिए केंद्र से 20,000 करोड़ रुपये के विशेष पैकेज की मांग की. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित राहत पैकेज को खानापूर्ति वाला, वास्तविक सहायता की बजाय महज मामूली खर्चों की पूर्ति करने वाला और एक दिखावा करार दिया.
केंद्र की उदासीनता और बाढ़ का प्रभाव
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि पंजाब हमेशा देश की सेवा में अग्रणी रहा है, भारत के अन्न भंडार के रूप में देश को भोजन उपलब्ध कराया और युद्धों में सीमा की रक्षा की. उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केंद्र ने इस बार पंजाब की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा के समय राज्य की उपेक्षा की.
उन्होंने बताया कि इस साल बाढ़ ने 1988 की तुलना में अधिक तबाही मचाई, जिसमें 2,300 से अधिक गाँव, लगभग 20 लाख लोग, 5 लाख एकड़ से अधिक फसलें, 7 लाख बेघर लोग, 3,200 से अधिक स्कूल, 19 कॉलेज, 1,400 अस्पताल/क्लीनिक, लगभग 8,500 किलोमीटर सड़कें और 2,500 पुल क्षतिग्रस्त या बह गए. शुरुआती नुकसान का अनुमान लगभग 13,900 करोड़ रुपये लगाया गया, लेकिन केंद्र ने केवल 1,600 करोड़ रुपये का पैकेज घोषित किया.
आई.एम.डी. और भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड की लापरवाही
श्री गोयल ने कहा कि इस साल पानी का बहाव 1988 के 11 लाख क्यूसेक की तुलना में 14.11 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया, जिसमें लगभग 10 लाख क्यूसेक पानी केवल खड्डों, नालों और चो के रास्ते पंजाब में आया.
उन्होंने आई.एम.डी. के गलत पूर्वानुमानों को भी उजागर किया:
- 24 अगस्त को 21 मिलीमीटर के बजाय 163 मिलीमीटर बारिश हुई
- 25 अगस्त को 18 मिलीमीटर के बजाय 147 मिलीमीटर
- 26 अगस्त को 13 मिलीमीटर के बजाय 90.5 मिलीमीटर
भाखड़ा-ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने पानी छोड़ने में देरी की, जिससे लोगों की जान-माल पर खतरा पैदा हुआ. डी-सिल्टिंग पर रोक ने गाद जमा होने का कारण बनी.
Punjab सरकार की राहत और पुनर्वास कार्य
कैबिनेट मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने बाढ़ सुरक्षा कार्य युद्धस्तर पर किए.
- रावी, ब्यास और सतलुज के धुसी बांध मज़बूती से खड़े रहे
- घग्गर नदी पर चैनलाईज़ेशन प्रबंधों ने कटाव रोका
- खन्नौरी में लगातार नौ दिनों तक पानी 750.7 फुट पर रहा, लेकिन कोई कटाव नहीं हुआ
उन्होंने सभी राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और संत-महापुरुषों का संकट में साथ देने के लिए धन्यवाद किया.
केंद्र से अपील और राजनीतिक आलोचना
श्री गोयल ने कहा कि केंद्रीय मंत्रियों ने बाढ़ के समय राज्य के जख्मों पर मरहम लगाने की बजाय नमक छिड़कने का काम किया, कुछ ने आपदा को मानवीय साजिश तक बता दिया. उन्होंने केंद्र से अपील की कि वह राजनीति से ऊपर उठकर सच्ची हमदर्दी दिखाए. 20,000 करोड़ रुपये की मांग राज्य की कृषि, रोजी-रोटी, सड़कें, स्कूल और स्वास्थ्य संस्थानों के पुनर्निर्माण के लिए आवश्यक है. उन्होंने चेतावनी दी कि इससे कम कदम उठाने से पंजाब के साथ विश्वासघात होगा.
सदन में “पंजाब के पुनर्वास” प्रस्ताव पर कैबिनेट मंत्री स. लालजीत सिंह भुल्लर, विधायक कुलदीप सिंह धालीवाल, अमनशेर सिंह शेरी कलसी, इंदरजीत कौर मान, डॉ. अमनदीप कौर अरोड़ा, नरिंदरपाल सिंह सवना, जगदीप कंबोज गोल्डी, दविंदरजीत सिंह लाडी ढोस और डॉ. चरणजीत सिंह ने भी अपने विचार साझा किए.
यह भी पढ़ें : पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने केंद्र की बाढ़ राहत में लापरवाही और सौतेला व्यवहार पर कड़ा प्रहार किया
Hindi Khabar App: देश, राजनीति, टेक, बॉलीवुड, राष्ट्र, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल, ऑटो से जुड़ी ख़बरों को मोबाइल पर पढ़ने के लिए हमारे ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कीजिए. हिन्दी ख़बर ऐप