
Mamta Kulkarni : ममता कुलकर्णी फिर से महामंडलेश्वर बन गईं हैं। उन्होंने दो दिन बाद अपने इस्तीफे को वापस लेते हुए एक वीडियो जारी किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि उनकी गुरु, आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। ममता कुलकर्णी ने दो दिन पहले इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट कर महामंडलेश्वर पद छोड़ने की घोषणा की थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि किन्नर अखाड़े में आपसी विवादों के कारण वह पद छोड़ रही हैं और 25 वर्षों से साध्वी के रूप में अपना जीवन जी रही हैं।
महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनीं ममता कुलकर्णी
24 जनवरी को प्रयागराज महाकुंभ में ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से सम्मानित किया गया था। इस दौरान आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उनका पिंडदान और पट्टाभिषेक किया था। ममता को नया नाम श्रीयामाई ममता नंद गिरि दिया गया था। वह लगभग सात दिन महाकुंभ में रही थीं।
इस्तीफे का कारण
ममता कुलकर्णी ने वीडियो में कहा कि, “मेरे इस्तीफे का कारण कुछ लोगों के आक्षेप थे, जिन्होंने मेरे गुरु पर गलत आरोप लगाए थे। इस भावनात्मक स्थिति में मैंने पद छोड़ने का निर्णय लिया, लेकिन मेरी गुरु ने इसे नामंजूर कर दिया।” उन्होंने यह भी कहा कि गुरु की ओर से जो भेंट दी थी, वह एक महामंडलेश्वर बनने के बाद दी गई थी, और यह छत्र, छड़ी और छवन के लिए था, जबकि जो बाकी बचा था, उसे भंडारे के लिए समर्पित किया गया था। ममता ने आभार व्यक्त किया कि गुरु ने उन्हें फिर से पद पर बिठाया और अब वह अपना जीवन किन्नर अखाड़े और सनातन धर्म के लिए समर्पित करेंगी।
इस्तीफे से पहले के विचार
इस्तीफे से पहले ममता ने कहा था, “आज किन्नर अखाड़े में मुझे लेकर विवाद है, जिसके कारण मैं इस्तीफा दे रही हूं। मैं 25 साल से साध्वी हूं और हमेशा साध्वी रहूंगी।” उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें महामंडलेश्वर का सम्मान मिला था, लेकिन कुछ लोगों को यह आपत्तिजनक लगा।
ममता कुलकर्णी का धर्म और गुरु के प्रति श्रद्धा
ममता ने अपने वीडियो में बताया कि वह दो अखाड़ों के बीच फंसी हुई थीं, लेकिन उनका गुरु स्वामी चैतन्य गगन गिरी महाराज हैं, जिनके सानिध्य में उन्होंने 25 साल तपस्या की है। उनके मुताबिक, “मेरे गुरु की बराबरी में कोई और नहीं आ सकता।” उन्होंने कहा कि वह किसी कैलाश या हिमालय में जाने की जरूरत नहीं महसूस करतीं, क्योंकि उनके सामने ब्रह्मांड है।
किन्नर अखाड़ा और उनके समर्थन में बयान
किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने ममता के निर्णय का समर्थन करते हुए कहा कि ममता किन्नर अखाड़ा की अंग हैं, और रहेंगी। त्रिपाठी ने कहा कि ममता के इस्तीफे की वजह और स्थिति पर बात की जा रही है, और वह जल्दी ही महाकुंभ स्थित अपने शिविर में वापस लौटेंगी।
विरोध और विवाद
ममता को महामंडलेश्वर बनाए जाने पर कई धार्मिक नेताओं और संतों ने इसका विरोध किया था। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री और बाबा रामदेव ने कहा था कि संत या महामंडलेश्वर बनने के लिए सालों की साधना की आवश्यकता होती है, और यह पद किसी बाहरी प्रभाव से नहीं दिया जा सकता। किन्नर जगद्गुरु हिमांगी सखी और ऋषि अजय दास ने भी इसका विरोध किया था। अजय दास ने दावा किया था कि ममता को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया गया है, क्योंकि प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था।
ममता कुलकर्णी का व्यक्तिगत बयान
ममता ने इस पूरे विवाद के बाद कहा, “मैंने 25 साल चंडी की आराधना की है, और उसी ने मुझे संकेत दिया कि मुझे इन विवादों से बाहर आना चाहिए।” साथ ही, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह किसी बाहरी विवाद या विवादित घटनाओं में शामिल नहीं होना चाहतीं।
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