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महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में हिंदी अनिवार्यता का फैसला लिया वापस, आदित्य ठाकरे ने कहा- लिखित आदेश तक विरोध जारी रहेगा

Maharashtra News : महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में हिंदी पढ़ाने के फैसले को विरोध के चलते वापस ले लिया. इस मुद्दे पर आदित्य ठाकरे ने कहा जब तक सरकार की तरफ से लिखित आदेश नहीं आता, विरोध जारी रहेगा.

विधायक आदित्य ठाकरे ने सोमवार यानी आज यह दावा किया कि महाराष्ट्र सरकार ने प्राथमिक कक्षाओं में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी पढ़ाने पर अपना फैसला विपक्ष और नागरिक समाज के दबाव की वजह से वापस ले लिया है.

विधानसभा का मानसून सत्र 18 जुलाई तक जारी रहेगा

आदित्य ठाकरे ने विधान भवन परिसर में मीडिया से कहा दबाव ने सत्ता पर विजय पा ली है. राज्य विधानसभा का मानसून सत्र 18 जुलाई तक जारी रहेगा. महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी भाषा को शामिल करने के खिलाफ बढ़ते विरोध के बीच रविवार को राज्य मंत्रिमंडल ने (त्रि-भाषा) नीति पर सरकारी आदेश को रद्द कर दिया.

सरकारी आदेश को रद्द कर दिया गया

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रविवार को घोषणा की कि संबंधित सरकारी आदेश को रद्द कर दिया गया है, साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि भाषा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन और भविष्य की दिशा तय करने के उद्देश्य से शिक्षाविद् नरेंद्र जाधव की अध्यक्षता में एक समिति के गठन करने का निर्णय लिया गया है.

लिखित में कोई औपचारिक निर्णय नहीं जारी कर देती

आदित्य ठाकरे ने दावा किया, सत्ता में होने के बावजूद सरकार को जनता, विपक्ष और हिंदी थोपे जाने का विरोध करने वाले कई लोगों के दबाव के कारण अपने ही प्रस्तावों को वापस लेना पड़ा. आदित्य ठाकरे ने कहा हम सरकार पर तब तक दबाव बनाए रखेंगे जब तक वह लिखित में कोई औपचारिक निर्णय नहीं जारी कर देती है.

हमें अब महाराष्ट्र सरकार पर भरोसा नहीं रहा : आदित्य ठाकरे

आदित्य ने कहा, हमें अब महाराष्ट्र सरकार पर भरोसा नहीं रहा. मराठी लोगों की एकता को दिल्ली के सामने प्रदर्शित करना होगा. सरकार के इस फैसले की मंशा के बारे में पूछे जाने पर आदित्य ठाकरे ने आरोप लगाया, बीजेपी और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना, उद्धव और (मनसे प्रमुख) राज ठाकरे के बीच किसी भी तरह के मेल-मिलाप को रोकने के लिए लगातार मेहनत कर रही है.

मराठी अस्मिता और गौरव को बांट सकते हैं तो वे गलत

हालांकि अगर किसी को यह भ्रम है कि वे मराठी अस्मिता और गौरव को बांट सकते हैं तो वे गलत हैं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) के वरिष्ठ नेता जयंत पाटिल ने कहा कि हिंदी को थोपने के सरकार के फैसला को वापस लेना यह दर्शाता है कि सरकार जनभावनाओं से कितनी दूर है.

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