
झांसी जिला के समथर में सोमवार को एक अजीबो-गरीब मामला देखने को मिला। जहां अजीबोगरीब रीति रिवाज के साथ निकाली गई शव यात्रा क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई। देखने वाले केवल शव यात्रा देखते ही रह गए उनके पास कहने के लिए कोई भी शब्द नहीं मिल रहा था।
यह है पूरा मामला
मामला झांसी जनपद के समथर का है, जहां लोहापीटा (लोगडरिया) समाज एक व्यक्ति की मौत पर परिजनों ने उसकी अंतिम यात्रा डीजे के साथ डांस करते हुए धूमधाम से निकाली। परिवार और समाज के लोग अंतिम यात्रा में साथ चल रहे थे। वह शादी विवाह की तरह डांस करते हुए श्मशान घाट पहुंचे। शव यात्रा में शामिल लोगों से जब नृत्य करने के विषय में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि युद्ध के समय मृत्यु को उत्साह के साथ बरण करते थे। हमारी महिलाएं भी युद्ध के बाद जौहर करने से पहले खूब सज-संवर कर बहुत उत्साहित होकर नृत्य आदि करके अग्नि स्नान करती थी। वर्तमान में जौहर,सती प्रथा पूरी तरह से बंद हो गई है। इसलिए थोड़ा सा सूक्ष्म रूप में करते हैं।
उन्होंने कहा कि लोहपीटा समाज में महिला या पुरुष की मृत्यु हो जाने पर हर हालत में उसे पुराने खराब एवं नये नारियल में ही जलाया जाता है। भारत की अखंडता, संप्रभुता, एवं हिन्दुत्व की रक्षा के लिए महाराणा प्रताप एवं उनकी सेना के लिए अस्त्र शस्त्र बना कर देने वाले राजस्थान से कदम से कदम मिलाकर निकले गाडियां लोहार, लोहपीटा समाज आज भी अपनी सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन करता दिखाई दे रहा है। नगर में स्थित पानी की टंकी के पास बहुत लम्बे समय से अपना डेरा लगाये लोहपीटा समाज के फूल सिंह का अचानक निधन हो गया। दोपहर में फूल सिंह के परिवार जनों ने रिस्तेदारो के साथ उनकी अंतिम यात्रा बहुत धूमधाम से निकली। अंतिम यात्रा में सबसे पहले डी जे पर गमगीन गाने बजाये गये। इसके बाद श्मशान घाट से पहले शव यात्रा के चल रही महिलाओं ने जमकर नृत्य किया तो पुरुषों द्वारा पैसों की जमकर न्योछावर की गई।
(झांसी से अमित सोनी की रिपोर्ट)
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