
Delhi : सुप्रीम कोर्ट आज एक अहम फैसला लेते हुए पश्चिम बंगाल के 25 हजार से ज्यादा शिक्षकों/स्कूल कर्मचारियों की नौकरी रद्द कर दी है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस बारे में पिछले साल आए हाई कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। इसके अलावा भी इस मसले पर 120 से ज्यादा याचिकाएं दाखिल हुई थीं।
अप्रैल 2024 में हाई कोर्ट ने अपने फैसले में सभी नौकरियों को रद्द करने के साथ-साथ संबंधित कर्मचारियों से ब्याज सहित पूरा वेतन वसूलने का आदेश दिया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने राहत देते हुए स्पष्ट किया है कि जो लोग नौकरी कर रहे थे, उन्हें वेतन वापस करने की आवश्यकता नहीं होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि 2016 में हुई पूरी नियुक्ति प्रक्रिया जोड़-तोड़ और धोखे से भरी थी।
भर्ती घोटाले में सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
2016 में स्टेट स्कूल सर्विस कमीशन (SSC) के माध्यम से हुई भर्ती परीक्षा में 23 लाख से अधिक उम्मीदवारों ने भाग लिया था। इस प्रक्रिया के तहत 25,000 से अधिक भर्तियां की गई थीं, लेकिन बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए। सुप्रीम कोर्ट ने इसे जोड़-तोड़ और धोखाधड़ी से भरी प्रक्रिया करार देते हुए तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि पिछली भर्ती में शामिल उन उम्मीदवारों को, जिन पर कोई आरोप नहीं था, नई प्रक्रिया में कुछ रियायत दी जा सकती है।
दिव्यांग उम्मीदवारों के लिए विशेष प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मानवीय आधार पर एक दिव्यांग कर्मचारी को नौकरी जारी रखने की अनुमति दी है, जबकि अन्य दिव्यांग उम्मीदवारों को नई भर्ती प्रक्रिया में कुछ रियायत देने का निर्देश दिया है। इसके अलावा, हाई कोर्ट द्वारा पूरे भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच को चुनौती दी गई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट 4 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
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