
New Delhi : राज्यसभा ने “मुख्य निर्वाचन आयुक्त” और अन्य “निर्वाचन आयुक्त” विधेयक 2023 को ध्वनि-मत से मंजूरी दे दी। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे प्रस्तुत किया था। और इस पर हुई चर्चा का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि अगस्त 2023 में यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया गया था। और मूल कानून में “मुख्य निर्वाचन आयुक्त” और अन्य “आयुक्तों” की नियुक्ति का प्रावधान नहीं था।
मेघवाल ने क्या कहा?
मेघवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को इस संबंध में एक कानून बनाने का निर्देश दिया था जिसके आधार पर यह विधेयक लाया गया है। विपक्ष की आपत्तियों को खारिज करते हुए मेघवाल ने कहा कि निर्वाचन आयोग निष्पक्ष है और इस संशेधन विधेयक के बाद भी निष्पक्ष ही रहेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार भी प्रतिबद्ध है। यह विधेयक प्रगतिशील है।
यह सरकारी संशोधन विधेयक है
मेघवाल ने कहा कि यह सरकारी संशोधन विधेयक है। उन्होंने कहा कि इसमें सर्च कमेटी एवं चयन समिति का प्रावधान है। इसमें वेतन को लेकर भी एक प्रावधान है। मेघवाल ने कहा कि इसमें एक प्रावधान है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त यदि कोई कार्रवाई करते हैं, तो उन्हें अदालती कार्रवाई से छूट दी गई है।
विपक्ष ने किया विरोध
इससे पहले विपक्षी दलों ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं अन्य आयुक्तों की नियुक्ति के लिए लाये गये विधेयक के कई प्रावधानों का तीखा विरोध करते हुए आशंका जताई कि इससे चुनाव की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने दावा किया कि इसके पीछे सरकार की मंशा निर्वाचन आयोग को जेबी चुनाव आयोग बनाकर इसे अपनी मनमर्जी से चलाने की है। विधेयक पर उच्च सदन में चर्चा शुरू करते लेते हुए रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि निष्पक्षता, निर्भीकता, स्वयात्तता और शुचिता चुनाव के आधार स्तंभ होते हैं।
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