
नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन जंग थम नहीं रही है और ताइवान व चीन के बीच सैन्य टकराव की आशंका बढ़ती जा रही है, इसी बीच मध्य एशियाई देश अजरबैजान व पड़ोसी देश आर्मीनिया में ठन गई है। अजरबैजान ने ड्रोन से आर्मीनिया के कई इलाकों में बमबारी की है। उसने नागर्नो-कराबाख के कई इलाकों पर कब्जा कर लिया है। अजरबैजान का कहना है कि उसने जवाबी कार्रवाई करते हुए हमला किया है। उसने तुर्की से मिले ड्रोन से आर्मीनिया के कई हथियारों को तबाह कर दिया। झड़प में दोनों देशों के कुछ सैनिकों के मारे जाने की भी खबर है। दरअसल नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर आर्मीनिया और अजरबैजान में लंबे समय से तनातनी जारी है। इसे लेकर एक बार फिर दोनों देश भिड़ गए हैं।
रूस ने आरोप लगाया है कि अजरबैजान ने नागर्नो-कराबाख के विवादित इलाके में शस्त्र विराम का उल्लंघन किया है। इसके पूर्व अजरबैजान ने कहा था कि आर्मीनिया के सशस्त्र गुटों ने उसके तीन सैनिकों को मार डाला है। इसके जवाब में उसने हमला बोला। दोनों पड़ोसी देश पूर्ववर्ती सोवियत संघ का हिस्सा थे। जब 80 के दशक में सोवियत संघ का पतन हुआ तो दोनों देशों अलग हो गए। आर्मीनिया और अजरबैजान ईरान और तुर्की के समीप हैं और ये यूरोप के भी समीप हैं।1991 में भी दोनों देशों के बीच झड़प हुई थी। तब रूस ने दोनों के बीच संघर्ष विराम कराया था। लेकिन उसके बाद भी कई बार दोनों देशों में झड़प होती रहती है।
2020 में मारे गए थे 6500 लोग
इन दोनों पड़ोसी देशों के बीच 2020 में भी जंग हुई थी। छह सप्ताह चली जंग में 6500 से ज्यादा लोग मारे गए थे। तब भी रूस ने संघर्ष विराम कराया था। दोनों देशों के विवादित क्षेत्रों में रूसी शांति सैनिक तैनात हैं, फिर भी दोनों देशों में नए सिरे से संघर्ष छिड़ गया।
पाकिस्तान व तुर्की कर रहे अजरबैजान की मदद
रूस एक बार फिर दोनों देशों के बीच शांति के प्रयासों में जुट गया है। वहीं, अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय का कहना है कि उसकी सेना ने आर्मीनिया के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पहाड़ी इलाकों पर कब्जा कर लिया है। उधर, कराबाख का आरोप है कि अजरबैजान ने हमारे दो सैनिकों की हत्या कर दी और 14 को घायल कर दिया। कराबाख में आर्मीनिया मूल के लोग रहते हैं, हालांकि, कानूनी तौर पर यहां अजरबैजान का अधिकार है। अजरबैजान को तुर्की और पाकिस्तानी सेना भी लगातार मदद कर रही है। ताजा हमला उसने तुर्की के ड्रोनों के माध्यम से ही किया है।