
New Delhi : एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले से सबसे ज्यादा नुकसान जम्मू के डोगरा और लद्दाख के बौद्धों को होगा। उन्हें जनसांख्यिकीय बदलाव का सामना करना पड़ेगा।
ओवैसी ने क्या कहा?
एक्स पर ओवैसी ने यह बयान अनुच्छेद 370 निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के फैसले का सबसे ज्यादा नुकसान जम्मू के डोगरा और लद्दाख के बौद्धों को होगा, जिन्हें जनसांख्यिकीय बदलाव का सामना करना पड़ेगा। उन्होंने यह भी पूछा कि राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए कोई समयसीमा क्यों नहीं है?
कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है
ओवैसी ने कहा कि 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ ही जम्मू-कश्मीर में दिल्ली के शासन को पांच साल हो जाएंगे। एआईएमआईएम प्रमुख ने दावा किया कि इसमें कोई संदेह नहीं है, कि राज्य भारत का अभिन्न अंग है। लेकिन, अभिन्न अंग होने का मतलब यह नहीं है कि इसका संघ के साथ अलग संवैधानिक संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि कश्मीर की संविधान सभा के भंग होने के बाद इस संवैधानिक संबंध को स्थायी बना दिया गया।
ओवैसी ने क्या आरोप लगाए?
ओवैसी ने आरोप लगाया कि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म करने के केंद्र के फैसले को वैधता मिलने के बाद केंद्र सरकार को चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद या मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने कहा कि मैंने एक बार कहा है और मैं इसे फिर कहूंगा। एक बार इसे वैधता मिल जाने के बाद केंद्र सरकार को चेन्नई, कोलकाता, हैदराबाद या मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाने से कोई नहीं रोक सकता।
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