
हंगरी के बुडापेस्ट में नीरज चोपड़ा ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप गोल्ड जीता और एक महिला तिरंगे पर उनका ऑटोग्राफ लेने आ गई। भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के अनुसार भारत के राष्ट्रीय ध्वज पर किसी तरह का कुछ भी अंकित करना राष्ट्रीय ध्वज का अपमान होता है। नीरज चोपड़ा ने थोड़ी देर पहले ही गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया था और वह कुछ फैंस को ऑटोग्राफ दे चुके थे। इसी बीच जैसे ही हंगरी की महिला ने ऑटोग्राफ के लिए तिरंगा आगे बढ़ाया, नीरज चोपड़ा ने अपने हाथ रोक लिए।
राष्ट्रीय ध्वज पर सिग्नेचर नहीं कर सकता
नीरज चोपड़ा ने उस महिला से कहा कि मैं अपने देश के राष्ट्रीय ध्वज पर सिग्नेचर नहीं कर सकता। विदेशी महिला को यह बात नहीं मालूम थी। ऐसे में नीरज ने उसे कहा कि मैं आपकी स्लीव यानी आस्तीन पर दस्तखत कर देता हूं। महिला खुशी-खुशी राजी हो गई। नीरज ने इसके बाद उस विदेशी महिला से कहा कि आगे से आप कभी किसी को भारतीय तिरंगे पर हस्ताक्षर करने मत कहिएगा। जीत के बाद राष्ट्रीय ध्वज के प्रति चैंपियन का सम्मान देखकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया। नीरज चोपड़ा ने जीत के बाद भी अपने देश को प्रथम रखा।
40 साल के इतिहास में पहली बार
नीरज चोपड़ा ने वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पाकिस्तानी अरशद नदीम को हराकर गोल्ड मेडल जीता। 1983 में शुरू हुए इस टूर्नामेंट के 40 साल के इतिहास में पहली बार किसी भारतीय खिलाड़ी ने गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। लास्ट ईयर नीरज चोपड़ा ने यहां सिल्वर मेडल जीता था। टूर्नामेंट के फाइनल में 88.17 मीटर की जैवलिन थ्रो के साथ नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। 87.82 की थ्रो के साथ पाकिस्तानी एथलीट अरशद नदीम नीरज से पिछड़ गए और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा।
मुझे अभी भी बहुत कुछ हासिल करना
25 वर्षीय नीरज चोपड़ा एक ही वक्त में ओलंपिक गोल्ड और वर्ल्ड चैंपियनशिप गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए। नीरज चोपड़ा ने कहा कि मैं खुद को भारत का सर्वश्रेष्ठ एथलीट नहीं मानता। उन्होंने गोल्ड जीतने के बाद कहा- मुझे अभी भी बहुत कुछ हासिल करना है। ऐसा नहीं है कि मैंने सभी पदक जीत लिए हैं, तो मैं आराम करूंगा। मैं हर साल इस सफलता को दोहराना चाहता हूं। मैं अपनी मेहनत और बढ़ाऊंगा और आगे भी ऐसा ही प्रदर्शन करूंगा।