केंद्र सरकार देश में मौजूद वर्तमान देशद्रोह कानून पर पुनर्विचार करेगी। यह बातें केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कही। केंद्र ने कहा कि उसने देशद्रोह कानून के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने का फैसला किया है। सरकार ने कोर्ट से अपील की कि वह तबतक इस मामले पर सुनवाई न करे जबतक सरकार जांच न कर ले।
माननीय सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि देशद्रोह पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A की वैधता की जांच की जाएगी और उनपर पुनर्विचार किया जाएगा।
कोर्ट ने दाखिल हलफनामे में सरकार ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण में जबकि देश की आजादी के 75 साल पूरे हो रहे हैं। गुलामी के समय में बने देशद्रोह के कानून पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।
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हलफनामे के अनुसार, देशद्रोह कानून को लेकर जताई जाने वाली आपत्ति का भारत सरकार को ज्ञान है। कई बार मानवाधिकार को लेकर भी सवाल उठाए चजाते हैं। हालांकि इसका उद्देश्य देश की संप्रभुता और अखंडता को अक्षुण्य रखना होना चाहिए।
एफिडेविट में कहा गया है कि अब समय आ गया है कि आईपीसी की धारा 124A के प्रावधानों पर पुनर्विचार किया जाए। केंद्र ने कहा कि जांच की प्रक्रिया के दौरान सुप्रीम कोर्ट से अपील है कि वह फिलहाल इस कानून की वैधता की जांच करने में समय जाया न करे। बता दें कि देशद्रोह कानून की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई है।
पिछली बार केंद्र ने किया था कानून का बचाव
बता दें कि इससे पहले केंद्र सरकार ने इस कानून की समीक्षा की जरूरत नहीं बताई थी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि देशद्रोह कानून के खिलाफ दी गई अर्जियों को रद्द किया जाए।