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घरेलू हिंसा कानूनों में सुधार करने वाली याचिका को SC ने की खारिज, जानें क्या कहा

Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों की सदस्यता वाली एक समिति बनाने की मांग की गई थी जो मौजूदा दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों की समीक्षा करे।

सुप्रीम कोर्ट ने दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों में सुधार करने वाली याचिका को खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इसके लिए समाज को बदलना होगा हम इसमें कुछ नहीं कर सकते। दायर याचिका में कहा गया था कि मौजूदा दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों का गलत प्रयोग किया जा रहा है ऐसे में इनमें सुधार किए जाने चाहिए।

घरेलू हिंसा कानूनों की समीक्षा करे

बात दे कि बीते दिनों बंगलूरू में एक इंजीनियर ने आत्महत्या कर ली थी। इंजीनियर ने अपनी पत्नी पर कानूनी तौर पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था। इंजीनियर ने कानून में कथित खामियों का भी आरोप लगाया था। इंजीनियर की आत्महत्या के बाद लोगो में देहज और घरेलू हिंसा कानूनों के गलत इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ गई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कानूनों में सुधार की मांग की गई। यह याचिका वकील विशाल तिवारी ने दायर की थी। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जजों वकीलों और कानूनी विशेषज्ञों की सदस्यता वाली एक समिति बनाने की मांग की गई थी। जो मौजूदा दहेज और घरेलू हिंसा कानूनों की समीक्षा करे।

उपहारों को भी पंजीकृत कराया जाए

इस याचिका में ये भी मांग की गई थी कि ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए कि शादी पंजीकृत कराते समय शादी में मिले सभी सामान और उपहारों को भी पंजीकृत कराया जाए। साथ ही वर्ष 2010 में आईपीसी की धारा 498A को लेकर एक मामले में शीर्ष अदालत ने जो टिप्पणियां की थीं उन्हें भी लागू किया जाए। इस याचिका में कहा गया कि कानूनों में सुधार से मासूम पुरुषों की जान बचाई जा सकती है और इस कानून का जो उद्देश्य है वो भी पूरा होता रहेगा।

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