
प्रमोशन में SC/ST आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी प्रकार के दखल से खुद को किनारे कर लिया है। कोर्ट ने कहा है कि प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता का निर्धारण करने के लिए न्यायालय मानदंड निर्धारित नहीं कर सकता है।
शुक्रवार को फैसले में शीर्ष न्यायालय ने कहा कि हम ऐसा नहीं कर सकते, ये राज्यों को करना चाहिए। राज्यों की सरकारें आरक्षण तय करने से पहले इसका डेटा एकत्रित करें और समय-समय पर प्रमोशन में SC/ST आरक्षण में सही प्रतिनिधित्व की समीक्षा भी करें। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि समीक्षा के लिए एक अवधि भी केंद्र को तय करनी चाहिए।
बता दें मामले की सुनवाई जस्टिस एल नागेश्वर राव, संजीव खन्ना और बी आर गवई कर थी। पीठ की अध्यक्षता जस्टिस एल नागेश्वर राव कर रहे थे।
क्या है पूरा मामला ?
सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दी गईं जिसमें सुप्रीम कोर्ट के 2 आदेशों को आधार बनाया गया। कोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्यों को गाइडलाइन्स जारी किए जिसमें सरकारी नौकरियों में प्रोमोशन देने का क्या पैमाना हो इसे बताया गया। इस मामले की विस्तृत सुनवाई 24 फरवरी से शुरु होगी।