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सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के लिए उपयोग होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने फैसलों और दलीलों में अब जेंडर स्टीरियोटाइप शब्दों का इस्तेमाल नहीं होगा। कोर्ट ने महिलाओं के लिए उपयोग होने वाले आपत्तिजनक शब्दों पर रोक लगाने के लिए जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक की शुरुआत की है। 8 मार्च को महिला दिवस पर सुप्रीम कोर्ट में हुए इवेंट में यह कहा गया था कि कानूनी मामलों में महिलाओं के लिए आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग बंद होगा, और जल्द ही इसके लिए एक डिक्शनरी भी लॉन्च की जाएगी।  बुधवार 16 अगस्त को, CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने हैंडबुक की शुरुआत की, कहते हुए कि इससे जजों और वकीलों को रूढ़िवादी शब्दों की पहचान होगी और उन्हें उनके इस्तेमाल से कैसे बचाया जा सकता है।

जेंडर स्टीरियोटाइप कॉम्बैट हैंडबुक में क्या है ?

CJI चंद्रचूड़ ने बताया कि इस हैंडबुक में आपत्तिजनक शब्दों की सूची दी गई है और उनके स्थान पर वाक्य और शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता है। यह शब्दों को कोर्ट में दलील देने, आदेश देने और कॉपी तैयार करने में मदद करेगा। यह हैंडबुक वकीलों के साथ-साथ जजों के लिए भी है।

इस हैंडबुक में उन शब्दों की सूची दी गई है, जिनका पहले कई बार कोर्ट में उपयोग हुआ है।

शब्दरिप्लेसमेंट
अफेयरशादी के इतर रिश्ता
प्रॉस्टिट्यूट/हुकर (पतुरिया)सेक्स वर्कर
अनवेड मदर (बिनब्याही मां)मां
चाइल्ड प्राॅस्टिट्यूडतस्करी करके लाया बच्चा
बास्टर्डऐसा बच्चा जिसके माता-पिता ने शादी न की हो
ईव टीजिंगस्ट्रीट सेक्शुअल हैरेसमेंट
प्रोवोकेटिव क्लोदिंग/ड्रेस (भड़काऊ कपड़े)क्लोदिंग/ड्रेस
एफेमिनेट (जनाना)इसकी जगह जेंडर न्यूट्रल शब्दों का प्रयोग
गुड वाइफवाइफ (पत्नी)
कॉन्क्युबाइन/कीप (रखैल)ऐसी महिला जिसका शादी के इतर किसी पुरुष से शारीरिक संबंध हो।

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