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नरेंद्र दाभोलकर मर्डर केस में आया फैसला, 2 शूटर्स को उम्रकैद, तीन आरोपियों को अदालत ने किया बरी

Narendra Dabholkar Case

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Narendra Dabholkar Case: सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर के मर्डर का मामला एक बार फिर चर्चा में है। 2013 में हुई हत्या के मामले में 11 साल बाद पुणे की एक विशेष यूएपीए अदालत ने दो आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जबकि तीन अन्य को बरी कर दिया। अदालत ने ईएनटी सर्जन डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े, मुंबई के वकील संजीव पुनालेकर और उनके सहयोगी विक्रम भावे को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। अदालत ने दोनों हमलावरों सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को उम्रकैद की सजा सुनाई है।

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नरेंद्र दाभोलकर महाराष्ट्र में अंधविश्वास के खिलाफ आंदोलन चलाते थे, जिनकी 2013 में हत्या कर दी गई थी। पुणे की एक विशेष अदालत ने आज इस मामले में फैसला सुनाया। पांच आरोपी में से दो को दोषी करार दिया। वहीं, तीन को बरी कर दिया गया है। बता दें, हत्या के मामले को 2014 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दिया गया था। सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ 2016 में आरोप पत्र दायर किया था।

2013 में हुई थी नरेंद्र दाभोलकर की हत्या

20 अगस्त 2013 को पुणे में मोटरसाइकिल सवार दो हमलावरों ने सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या कर दी थी। घटना के वक्त दाभोलकर सुबह की सैर के लिए घर से निकले। ओमकारेश्वर (महर्षि विट्ठल रामजी शिंदे) पुल पर सुबह 7:15 बजे दाभोलकर पर हमला किया गया। दाभोलकर पर पांच गोलियां चलाई गईं। दो गोलियां मिसफायर हुईं, लेकिन दो गोलियां दाभोलकर के सिर में और एक छाती में लगीं। जब वे गिर पड़े, तो दोनों हमलावर पास में खड़ी एक मोटरसाइकिल से भाग निकले। दाभोलकर की मौके पर ही मौत हो गई।

दो जाने-माने हिस्ट्रीशीटर दाभोलकर की हत्या में मुख्य संदिग्ध के रूप में नामित किए गए थे। आरोपियों को घटना के दिन ही गिरफ्तार कर लिया गया। हिस्ट्रीशीटर के पास से हथियार और कारतूस बरामद हुए थे जो दाभोलकर के शरीर से बरामद गोलियों से मेल खाते थे। हालांकि, दोनों संदिग्धों पर कभी औपचारिक रूप से हत्या का आरोप नहीं लगाया गया और इसके तुरंत बाद उन्हें जमानत दे दी गई। इस मामले की जांच बाद में सीबीआई को सौंप दी गई।

मामले में किसकी-किसकी गिरफ्तारी हुई?

20 अगस्त 2013 को सुबह करीब 10 बजे हत्या के ठीक तीन घंटे बाद पहली गिरफ्तारी हुई। दो चर्चित हथियार डीलर और हिस्ट्रीशीटर मनीष नागोरी और विकास खंडेलवाल को ठाणे एंटी एक्सटॉर्शन सेल और मुंब्रा पुलिस ने कोपरखैराने, नवी मुंबई से एक असंबंधित कथित जबरन वसूली मामले में गिरफ्तार किया।
दोनों व्यक्तियों से बरामद हथियारों में एक 7.65 मिमी की देसी पिस्तौल, चार कारतूस और दो जिंदा गोलियां शामिल थीं। जब्त किए गए हथियारों को जांच के लिए फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) कलिना में जमा किया गया था। कुछ महीने बाद एफएसएल कलिना ने रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि पुलिस ने अपराध स्थल से दो जिंदा कारतूस सहित चार कारतूस बरामद किए थे, जो नागोरी और खंडेलवाल से बरामद एक ही 7.65 मिमी पिस्तौल से चलाए गए थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि दाभोलकर के शरीर में मिली गोली के निशान बरामद कारतूसों से मिलते-जुलते थे और हो सकता है कि नागोरी और खंडेलवाल से जब्त हथियार से चलाई गई हो। 

इसके बाद 20 जनवरी 2014 को पुलिस ने दाभोलकर की हत्या के लिए मनीष नागोरी और विकास खंडेलवाल को औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया। खंडेलवाल ने पुलिस को दिए अपने बयान में स्वीकार किया कि उसके पास एक काले रंग की हीरो होंडा मोटरसाइकिल है। दोनों ने दावा किया कि हत्या के समय वे घर पर सो रहे थे और इस बात से इनकार किया कि उनके पास से बरामद हथियारों का इस्तेमाल दाभोलकर की हत्या में किया गया था।

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