Advertisement

Chhattisgarh के इस अनोखे मदिंर में न भगवान की मूर्ति न श्रद्धालु करते हैं पूजा  

Chhattisgarh

Chhattisgarh

Share
Advertisement

Chhattisgarh: जांजगीर चांपा में भगवान विष्‍णु का एक ऐसा मदिंर है जो अपने निर्माण काल से अधूरा है। इस मदिंर की यही बात इसे अनोखा बनाती है। छत्तीसगढ़ के कल्चुरी नरेश जाज्वल्य देव प्रथम ने भीमा तालाब के किनारे 11वीं शताब्दी में एक मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मदिंर की दिशा पूर्व की ओर है। इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां पर शिखर हीन विमान मात्र ही मौजूद है। गर्भगृह के दोनों ओर दो कलाकृति स्तंभ है जिन्हे देखकर ऐसा लगता है कि पुराने समय में मंदिर के सामने महामंडप निर्मित था, लेकिन अब उसके अवशेष ही रह गए हैं।

Advertisement

मदिंर में त्रिमूर्ति के रूप में ब्रह्मा, विष्णु और महेश की मूर्ति स्‍थापित है। ठीक इसके ऊपर गरुणासीन भगवान विष्णु की मूर्ति, मंदिर के पृष्ठ में सूर्य देव विराजमान हो रखे हैं। मूर्ति का एक हाथ भग्न है लेकिन रथ और उसमें जुते सात घोड़े स्पष्ट हैं। नीचे की कलाकृति पर ध्यान दिया जाए तो चित्रों में वासुदेव कृष्ण को दोनों हाथों से सिर के ऊपर उठाए गतिमान दिखाये गया है। इसी प्रकार की अनेक मूर्तियां नीचे की दीवारों में बनी हैं। ऐसा लगता है कि किसी समय बिजली गिरने से मंदिर ध्वस्त हो गया था। जिससे कारण मूर्तियां बिखर गई थी और फिर बाद में उन मूर्तियों को मंदिर की मरम्मत करते वक्त दीवारों पर जड़ दिया गया।

 मदिंर के गर्भगृह में कोई मूर्ति नहीं

मंदिर के चारों ओर अन्य कलात्मक मूर्तियों में भगवान विष्णु के दसावतार में से वामन, नरसिंह, कृष्ण और राम की प्रतिमाएं देखी जा  सकती है। जैसे द्दश्य छत्तीसगढ के इस मदिंर में मलते है वैसे कही किसी मदिंर में देखने को नही मिलते। मंदिर में इतनी सजावट के बावजूद भी कोई मूर्ति नहीं है क्योंकि मदिंर का निर्माण पूरा नही हो पाया।

ये कहानी है मंदिर के अधूरे रहने की

इस मंदिर के निर्माण से संबंधित अनेक किस्से हैं। इन्‍हीं में से एक दंतकथा के मुताबिक एक निश्चित समयावधि जिसे कुछ लोग इस छैमासी रात कहते हैं, इसी समय में शिवरीनारायण मंदिर और जांजगीर के इस मंदिर के निर्माण में प्रतियोगिता हुई है। माना जाता हैं कि भगवान नारायण ने घोषणा की थी कि जो मंदिर पहले पूरा होगा, वे उसी में प्रवेश करेगें। शिवरीनारायण का मंदिर पहले पूरा हो गया और भगवान नारायण उसमें प्रविष्ट हो गए। जांजगीर का विष्णु मंदिर अधूरा ही रह गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *