
राजनीति की गलियारों में वाद-विवाद और मतभेद होना एक आम बात है, परंतु जब राजनीति के रंगों में अंतर खुद के घर – परिवार में होने लगे जैसे चाचा-भतीजा (अजित पवार और शरद पवार ) में तब मनमुटाव होना तो जाहिर सी बात है। हालांकि यह मनमुटाव सिर्फ जनता को दिखाने के लिए होते हैं या असल में यह तो सिर्फ राजनीतिक पार्टियां ही जानती हैं।
सूत्रों की माने तो चाचा-भतीजा के एक होने के संकेत साफ दिख रहे हैं और हो भी क्यों ना, जब पूरा विपक्ष मिलकर 2024 लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है, तो इसमें भला चाचा-भतीजा क्यों पीछे रहें। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स ने बताया कि 12 अगस्त यानी शनिवार को अजित पवार और शरद पवार की मुलाकात पुणे के कोरेगांव पार्क क्षेत्र में एक पारिवारिक मित्र के घर पर हुई थी और इसी दौरान दोनों चाचा-भतीजे ने एक घंटे से ज्यादा समय तक की मीटिंग भी की, फिर बंगले से पहले शरद पवार निकले और उनके जाने के कुछ ही देर बाद अजीत पवार।
खबरों की माने तो शरद पवार शनिवार को पुणे में थे। वहीं, चांदनी चौक ब्रिज उद्घाटन के लिए अजित पवार भी पुणे आए हुए थे। उसी दौरान पारिवारिक मित्र से भेंट के दौरान अजित पवार की तरफ से शरद पवार को मनाने का प्रस्ताव एक बार फिर से रखा गया। उनसे कहा गया कि पार्टी के सभी विधायक चाहते हैं कि आप भी साथ आएं, इसलिए आप हमें आशीर्वाद दें। उनसे ये भी कहा गया कि सीनियर पवार के खेमे के कुछ विधायक भी सरकार में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें भी अपना आशीर्वाद दें। इस पर चाचा शरद पवार ने कहा कि जो भी उनके पार्टी से जाना चाहते हैं, वें उनको नहीं रोकेंगे, परंतु वो खुद अभी पार्टी में शामिल नहीं होंगे। अब चाचा-भतीजा के बीच जो भी खिचड़ी पक रही हो, पर इस मुलाकात के बाद यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि दोनों साथ आने की पूरी तैयारी में हैं।
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