राजस्थान के अगले सीएम को लेकर खींचतान के बीच सचिन पायलट कैंप विधायक पहुंचे गहलोत के घर
राजस्थान की राजनीति में सियासी ड्रामा अपने अगले स्तर पर पहुंच गया है। सूत्रों के अनुसार करीब 80 कांग्रेस विधायक जो अशोक गहलोत के वफादार हैं, जुलाई 2020 में गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले विधायकों के खेमे से नए सीएम की नियुक्ति के विरोध में अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं। ये सभी विधायक फिलहाल कांग्रेस विधायक शांति कुमार धारीवाल के आवास पर बैठक कर रहे हैं।
गहलोत के वफादार, राज्य के खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरिया ने कहा, “राजस्थान के मुख्यमंत्री को 102 विधायकों में से क्यों नहीं नियुक्त किया जा सकता है? जो एक राजनीतिक संकट के दौरान साथ खड़े रहे।” धारीवाल के आवास में प्रवेश कर रहे खाचरिया ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा राजस्थान सरकार को गिराने की साजिश कर रही है।
विधायक कृष्णा कुमारी भी धारीवाल के आवास पर पहुंचीं और गहलोत के वफादारों की संख्या 80 से अधिक हो गई।
राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के पास 107 सीटें हैं, जिसमें बसपा के छह विधायक शामिल हैं, जो 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। जुलाई 2020 में सचिन पायलट के विद्रोह के समय, राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री के पास सिर्फ 20 विधायकों का समर्थन था और संख्या अब तक नहीं बढ़ी है, इसलिए ज्यादातर विधायक अभी भी गहलोत के साथ हैं।
राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन और पार्टी के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात करने पहुंचे अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस के सभी विधायकों को पार्टी अध्यक्ष के फैसले पर पूरा भरोसा है और आज शाम विधायक दल की बैठक में पारित होने की संभावना है। उन्होंने कहा कि पार्टी के सभी नेता आम सहमति पर पहुंचने के लिए चर्चा करेंगे और यही कांग्रेस की ताकत रही है।
इस बीच, गहलोत ने कहा कि उन्होंने 40 वर्षों से संवैधानिक पदों पर कार्य किया है और नई पीढ़ी को अब मौका मिलना चाहिए, वस्तुतः राज्य में सीएम पद पर परिवर्तन को स्वीकार करते हुए।
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की घोषणा करने वाले गहलोत ने जैसलमेर की यात्रा के दौरान तनोट माता मंदिर में पूजा-अर्चना करने के दौरान यह टिप्पणी की। यह इस बात संकेत का है कि कांग्रेस राज्य में सचिन पायलट को अपना उत्तराधिकारी चुन सकती है।