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Electoral Bond: SC में चुनावी बॉन्ड की संवैधानिक वैधता पर फैसला आज, मामले पर तीन दिनों तक चली थी सुनवाई

Electoral bond: SC में चुनावी बॉन्ड की संवैधानिक वैधता पर फैसला आज, मामले में तीन दिनों तक चली थी सुनवाई

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Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट गुरूवार 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड स्कीम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा. इस मामले में बीते साल 2 नवंबर को तीन दिनों तक सुनवाई चली थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसले को सुरक्षित रखा था. दायर याचिकाओं के मुताबिक चुनावी बॉन्ड फंडिंग की पारदर्शिता को प्रभावित करती है और ये वोर्ट्स के सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन करती है.

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Electoral Bond: तीन दिनों तक चली थी सुनवाई

बता दें कि चुनावी बॉन्ड स्कीम की संवैधानिक वैधता पर बीते साल तीन दिनों तक सुनवाई चली थी. मामले की सुनवाई भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने किया था, जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं. संविधान पीठ के ने बीते साल 31 अक्टूबर से 2 नवंबर तक दोनों पक्षों द्वारा दी गई दलीलों को सुना.

किसने दाखिल की चुनावी बॉन्ड पर याचिका

बता दें कि चुनावी बॉन्ड स्कीम की संवैधानिक वैधता पर कांग्रेस नेता जया ठाकुर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) समेत चार लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थ. दायर याचिका के मुताबिक चुनावी बॉन्ड फंडिंग में पारदर्शिता को प्रभावित करती है, ये मतदाताओं के सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है.

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केंद्र सरकार ने बचाव में दिए ये तर्क

चुनावी बॉन्ड स्कीम की संवैधानिक वैधता मामले पर केंद्र सरकार से बचाव करते हुए कहा कि धन चका इस्तेमाल उचित बैंकिंग चैनलों के जरिए किया जा रहा है. इसके अलावा ने बचाव में कहा कि दानदाताओं की पहचान को गोपनीय रखना आवश्यक है, जिससे की उन्हें राजनीतिक दलों से किसी बदले का सामना करना पड़े.

पीठ ने योजना पर उठाए ये सवाल

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कई सवाल किए. पीठ से कहा कि सत्ताधारी दल के लिए दानदाताओं की पहचान जानना संभव है, और विपक्षी दलों को जानकारी नहीं मिल सकती है.

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