
Nagdah Yagya : महाभारत युद्ध के बाद जब पांडव राज्य छोड़ कर हिमालय पर जाने लगे, तब उन्होंने अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को अपने शासन का सारा भार सौप दिया। पांडवों के वंश की परंपरा को राजा परीक्षित ने आगे बढ़ाया। मगर, उसी समय धरती पर कलयुग की शुरूआत हो गई।
जब एक दिन राजा परीक्षित शिकार के लिए जंगल गए और शिकार करते – करते वह ऋषि शमिक के आश्रम से होकर गुजरे। ऋषि उस समय ब्रह्म ध्यान में बैठे हुए थे। जिसकी वजह से उन्हेंने राजा पर ध्यान नहीं दिया। उसी समय राजा के मुकुट में बैठे कलयुग ने अपना कमाल दिखाया, जिसकी वजह से राजा को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने ऋषि के गले में मरा हुआ सांप डाल दिया। तभी ऋषि के पुत्र आ गए और उन्होंने अपने पिता के गले में सांप देखा तो राजा को श्राप दे दिया कि मेरे पिता के गले में सांप डालने वाले की आज से सातवें दिन सांप के डंसने से मृत्यु हो जाएगी।
राजा परीक्षित की मृत्यु
इस श्राप से बचने के लिए राजा ने बहुत से प्रयास किए, मगर कुछ भी काम न आया। सातवें दिन राजा अपने महल की छत पर खड़े श्राप से बचने की कोशिश कर रहे थे और हर तरफ घना पहरा लगा हुआ था। इसी बीच अचानक से एक चील अपने पंजों में सांप दबा कर ले जा रही थी, जो कि उसके पंजों से छूट कर राजा के ऊपर आ गिरा। उस सांप के डसने से राजा परीक्षित की मृत्यु हो गई।
राजा जनमेजय का नागदाह यज्ञ
राजा परीक्षित की मौत के बाद उनके पुत्र जनमेजय जो कि पांडव वंश के आखिरी राजा थे उन्होंने हस्तिनापुर की गद्दी संभाली। जब राजा जनमेजय को उनके पिता की मौत की वजह पता चली तो उन्होंने धरती के सभी सांपों का सर्वनाश करने का प्रण लिया। इसके बाद उन्होंने नागदाह यज्ञ करना शुरू किया। जिस से ब्रह्माण्ड के सारे सांप हवन कुंड में आ कर गिरने लगे। यज्ञ से भयभीत हो कर कर्कोटक नाग महांकालेश्वर शिव की शरण में चला गया और उज्जैन मंदिर में छिप कर अपने प्राणों की रक्षा करने लगा।
नागों के राजा तक्षक जिसके डसने से राजा परीक्षित की मृत्यु हुई थी, इस यज्ञ से भयभीत होकर इंद्र देव से सहायता मांगते पहुंचा, मगर इंद्र तक्षक को छुपा कर राजा के महल में छोड़ आते हैं। इस घटना के दौरान नागराज वासुकि ने नागों की रक्षा के लिए ब्राह्मण बालक आस्तिक को यज्ञ स्थल पर भेजा और आस्तिक वहां यज्ञ के यजमान राजा की स्तुति करने लगे। अपने यशगान से प्रसन्न राजा ने आस्तिक से वर मांगने के लिए कहा और आस्तिक ने जनमेजय से यज्ञ समाप्त करने का वर मांग लिया। जिसकी वजह से राजा जनमेजय को वह यज्ञ समाप्त करना पड़ा। इस प्रकार तक्षक नाग के प्राणों की रक्षा हुई।
यह भी http://Hemophobia : खून को देख कर लगता है डर तो हो सकता है हीमोफोबिया, क्या हैं इसके लक्षण ?
Hindi Khabar App: देश, राजनीति, टेक, बॉलीवुड, राष्ट्र, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल, ऑटो से जुड़ी ख़बरों को मोबाइल पर पढ़ने के लिए हमारे ऐप को प्ले स्टोर से डाउनलोड कीजिए. हिन्दी ख़बर ऐप