
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। कई राज्यों में कोरोना के बढ़ते मामले चिंता का विषय है। ऐसे में केरल ऐसा राज्य है जहां से कोरोना के मामले लगातार बढ़ते हुए देखने को मिल रहे है। कई बार केरल में कोरोना की समीक्षा की जा चुकी है।
कोरोना की दूसरी लहर अभी थमने का नाम नहीं ले रही है और इस बीच कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है।
विशेषज्ञों ने तीसरी लहर की चेतावनी जारी की
वहीं, इस वक्त केरल देश में कोरोना संक्रमण को लेकर चिंता बढ़ा रहा है। केरल में रोजाना बड़ी संख्या में नए मामले सामने आ रहे हैं।
इस मामले पर स्वास्थ्य मंत्रालय के उच्च आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि बिगड़ते हालात पर काबू पाने के लिए केरल में रणनीति के तहत लॉकडाउन लगाने की जरूरत है।
सूत्रों के मुताबिक अगर सख्त लॉकडाउन और कड़े कंटेनमेंट नियमों को अपनाया जाए तो सितंबर के बीच तक केरल में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों में कमी आ सकती है। इस तरह का लॉकडाउन पूरे जिला स्तर पर नहीं, बल्कि मोहल्ले व कस्बों के आधार पर लगाया जाए, जहां अधिक लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं। केरल में 85 फीसदी कोरोना मरीज होम आइसोलेशन में हैं। लेकिन इन मरीजों की ठीक से मॉनीटरिंग नहीं हो रही है। जिसके चलते मामले बढ़ रहे हैं क्योंकि वे लोग लगातार घूम रहे हैं और लोगों के बीच संक्रमण फैला रहे हैं।
बहुत पहले से ही केंद्र सरकार की ओर से केरल सरकार को लिमिटेड लॉकडाउन का सुझाव दिया गया है। बढ़ते मामलों के तहत हाल में गृह सचिव की बैठक में भी जरूरी जगहों पर लॉकडाउन लगाने की बात कही गई है।
वहीं इसके साथ ही केंद्र सरकार ने राज्य में कोरोना संक्रमण को देखते हुए लोगों की आवाजाही पर पाबंदियां लगाने का सुझाव दिया है। ऐसा कहा गया है कि जिन जिलों में अधिक संक्रमण बढ़ रहा है, वहां कड़े कदम उठाए जाए। कंटेनमेंट ज़ोन को और बेहतर करने की ज़रूरत है।
वहीं केंद्र की तरफ से समय-समय पर दिए गए सुझावों पर ठीक से अमल नहीं किया गया है। मैनेजमेंट में कमी के चलते इतने लंबे समय से संक्रमण फैला हुआ है। केरल में साप्ताहिक पॉजिटिविटी रेट 14-19% के बीच है। केरल का असर अब पड़ोसी राज्यों में भी दिखना शुरू हो गया है।