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आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण कार्यसमूह की तीसरी और अंतिम G-20 बैठक

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भारत की अध्‍यक्षता में जी 20 आपदा जोखिम न्‍यूनीकरण कार्यसमूह की तीसरी और अंतिम बैठक आज चेन्‍नई में शुरू हुई. ये बैठक 24 से 26 जुलाई तक चेन्नई में होगी. भारत के जी 20 शेरपा अमिताभ कांत ने प्रारंभिक सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि कार्यसमूह की अंतिम बैठक से जी 20 देशों की एकता और सहयोग की सामूहिक भावना का पता चलता है।

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उन्‍होंने कहा कि तुर्की में भूकंप और यूरोप में भीषण गर्मी से हजारों लोगों की जाने गई हैं और सूखे से अफ्रीका के लाखों लोगों को पानी और संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इन सब मुद्दों से हमारी नीतियों में आपदा कम करने के मुद्दे को प्राथमिकता देने की तत्‍काल आवश्यकता है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आपदा जोखिम कम करना केवल तैयारियों और तेज आपात प्रतिक्रिया के बारे में ही नहीं है. उन्होंने कहा कि यह एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाने के बारे में है, जिसका उद्देश्‍य जलवायु परिवर्तन के खतरे, शहरी विकास नीतियों और वित्तीय फ्रेम वर्क से जुड़े मुद्दों का पता लगाना और उनका समाधान करना है।

अमिताभ कांत ने कहा कि इस वर्ष मई में सेंदई फ्रेम वर्क की मध्यावधि समीक्षा हमे याद दिलाती है कि हमें आपदा जोखिम कम करने की नीतियों, कार्यक्रमों और सरकार तथा समाज के सभी स्तर पर निवेश में तेजी लाने की आवश्यकता है।

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने बैठक को संबोधित करते हुए राष्‍ट्रीय और वैश्विक प्रयासों के महत्व पर जोर दिया ताकि आपदा जोखिम के प्रभावों को अधिक से अधिक कम किया जा सके. उन्होंने कहा कि जी 20 के देश पहले ही पांच प्राथमिकताओं में से एक “Early Warning and Early Action” का पहचान कर चुके हैं.

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