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मोकारी का गोबिंद भोग चावलः ‘रामलला को पवाएंगे तो हम धन्य हो जाएंगे’

Gobind Bhog Rice: भक्त अपने आराध्य के किसी तरह काम आ सके तो वो खुद धन्य समझता है। ऐसी ही कुछ मंशा है कैमूर जिले के मोकारी गांव के निवासियों की। दरअसल यहां उपजे गोविंद भोग चावल रामलला को भोग के रूप में अर्पित किए जाते हैं। अब यहां के लोगों को बेसब्री से इंतजार है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में रामलला के भोग के लिए इस चावल का आर्डर आए. लोगों का कहना है कि यदि आर्डर आया तो हम फ्री में ही अपने लला के लिए चावल भिजवाएंगे।

क्या है गोबिंद भोग चावल की खासियत

जिले के भभुआ प्रखंड के मोकारी गांव का गोबिंद भोग चावल देश-विदेशों में मशहूर है। इस चावल की खासियत है कि जब इसे बनाया जाता है तो आसपास तक इसकी खुशबू बिखर जाती है। ऐसा मानना है कि गांव से सटे कैमूर पहाड़ी से जड़ी बूटी का मश्रित पानी गांव के खेतों में पहुंचता है। इससे चावल सुगन्धित और खुशबूदार होता है। जब से बिहार मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष किशोर कुणाल बने, तब से अयोध्या में श्रीरामचंद्र का भोग मोकारी गांव के गोबिंद भोग चावल से लगने लगा। सात वर्षों से गोबिंद भोग चावल अयोध्या जाता है। मोकारी गांव के पश्चिम सिवान में यह चावल उपजाया जाता है।

‘श्रीराम को लगता है भोग, इससे बड़ी बात क्या होगी’

22 जनवरी को राम मंदिर में रामलला के श्रीविग्रह की प्राण प्रतिष्ठा है। इसमें कैमूर जिले के गोबिंद भोग चावल से रामलला का भोग लगेगा। जिससे गांव वालों की खुशी का ठिकाना नहीं है। उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही इसका आर्डर मिलेगा. मोकारी गांव के किसान अर्जुन सिंह, लाल बच्चन सिंह, मोहम्मद सराफ्त बताते हैं कि मेरे गांव का गोबिंद भोग चावल देश-विदेशों में प्रसिद्ध है। अयोध्या में श्रीराम चद्र को पहला भोग मेरे गांव में उपजे गोबिंद भोग चावल से लगता है। इससे बड़ी बात क्यो होगी। हमलोग में खुशी का ठिकाना नहीं है।

आर्डर मिला तो फ्री में भेजेंगे चावल

जिस राइस मिल में गोबिंद भोग चावल तैयार होता है, उसके मालिक नारद सिंह का कहना है कि मैंने तीन वर्ष अयोध्या में गोबिंद भोग चावल भेजा था। इस बार अभी तक ऑर्डर नहीं मिला है। अगर ऑर्डर मिलेगा तो हम फ्री चावल भेजेंगे। मेरा सौभाग्य होगा कि मेरे राइस मिल से तैयार और मेरे गांव मे उपजा चावल का रामलला को भोग लगता है। गांव मे गोबिंद भोग चावल की खेती 600 से 1000 एकड़ में होती है। एक एकड़ में 12 क्विंटल चावल उपजता है।

रिपोर्टः प्रमोद कुमार, संवाददाता, कैमूर, बिहार

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