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दिलों को झकझोर देगी ये दर्द भरी दास्तां… चार दिव्यांग बेटियों के साथ जिंदगी से लड़ते-लड़ते हार गया पिता

Delhi Suicide case : दिल्ली में एक पिता हालातों से जंग लड़ते-लड़ते एक रोज हार गया. वो अपनी जीवनसंगिनी के साथ हर उस मुश्किल दौर से लड़ा जब अक्सर लोग लड़ना ही छोड़ देते हैं. लेकिन कुदरत का किस्सा अजीब है. किसी की झोली बेशुमार खुशियां हैं तो कोई एक अदद सुकून को भी तरसता है. ऐसा ही कुछ दिल्ली में बसंतकुंज साउथ के रंगपुरी में एक किराए के फ्लैट में रहने वाले हीरालाल के साथ हुआ.

चल भी नहीं सकती थीं बेटियां

यूं तो मुश्किलों का दौर उसके लिए कभी कम न था. वो खुद कारपेंटर का काम कर परिवार का पेट पालता तो वहीं हमेशा दिलो-दिमाग में चार दिव्यांग बेटियों की चिंता लिए घूमता. उसकी चारों बेटियां नीतू(26), निक्की(24), नीरू(23) और निधि दिव्यांग थीं. वो चल भी नहीं सकती थीं. लेकिन उसकी किस्मत में परेशानियां यहीं खत्म होने वाली नहीं थीं. वो उस वक्त अंदर से टूट गया जब उसे पता लगा कि उसकी पत्नी को कैंसर है.

पत्नी के जाने के बाद अंदर से टूट गया

एक ऐसी बीमारी जिसका नाम सुनते ही अक्सर लोगों की रूह कांप जाती है. फिर भी उसने अपनी बिखरी हिम्मत को बटोरा और पत्नी का जीभर इलाज कराया लेकिन वो इस जंग को जीत न सका. एक साल पहले उसकी पत्नी उसका साथ छोड़कर चली गई. अब उसके सामने जैसे परेशानियों का पहाड़ ही खड़ा हो गया. वो इस कश्मकश में उलझ गया कि घर पर रह रही चार शादी लायक दिव्यांग बेटियों की देखभाल करे या रोजी कमाने जाए.

किसी से साझा नहीं करता था परेशानी

आसपास के लोग बताते हैं कि पत्नी के गुजरने के बाद वो चुप रहने लगा. किसी से बात नहीं करता. कभी अपनी परेशानी साझा नहीं करता था. मूल रूप से बिहार के रहने वाला हीरालाल आसपास के लोगों को कुछ दिन पहले से नजर ही नहीं आया. इसके बाद उसके फ्लैट से अचानक बदबू आने लगी.

लाश के पास पड़ी थीं सल्फास की गोलियां

घटना की सूचना पुलिस को दी गई. पुलिस जब वहां पहुंची तो दरवाजा खटखटाया लेकिन दरवाजा नहीं खुला. इसके बाद दरवाजा तोड़कर पुलिस घर के अंदर दाखिल हुई. घर के अंदर का मंजर दिल दहला देने वाला था. एक बिस्तर पर हीरालाल का शव पड़ा था तो दूसरे कमरे में चारों दिव्यांग बेटियों की लाश. लाश के के पास सल्फास की गोलियां भी पड़ीं थीं.

स्वभाव से बहुत सीधा और खुद्दार था

स्थानीय लोगों की मानें तो हीरा लाल का स्वभाव से बहुत सीधा और खुद्दार था. न वो अपनी परेशानी किसी से कहता न कोई मदद मांगता. वह 28 साल से दिल्ली में रहकर एक हास्पिटल में कारपेंटर की नौकरी कर रहा था. फिलहाल पुलिस ने पांचों के शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा और घटना की जानकारी हीरालाल के बड़े भाई जोगिंदर को दी गई.

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