सुप्रीम कोर्ट से शिवराज सिंह चौहान को राहत, मानहानि मामले में व्यक्तिगत पेशी से छूट

सुप्रीम कोर्ट से शिवराज सिंह चौहान को राहत
Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (19 मार्च, 2025) को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को बड़ी राहत दी। कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा द्वारा दायर आपराधिक मानहानि मामले में शीर्ष अदालत ने उन्हें अधीनस्थ अदालत के समक्ष व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी।
क्या है मामला?
विवेक तन्खा ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह ने राजनीतिक लाभ के लिए उनके खिलाफ एक सुनियोजित, झूठा और मानहानिकारक अभियान चलाया। तन्खा के अनुसार, इन नेताओं ने 2021 में मध्यप्रदेश में पंचायत चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण का विरोध करने का झूठा आरोप उन पर लगाया था, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई और याचिका पर फैसला
जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई 26 मार्च तक टाल दी। कोर्ट मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुनवाई कर रही थी, जिसमें 25 अक्टूबर को शिवराज सिंह चौहान और अन्य भाजपा नेताओं के खिलाफ मानहानि मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया गया था।
शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने दलील पेश की, जबकि तन्खा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और सुमीर सोढ़ी ने पैरवी की। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेताओं के खिलाफ जारी जमानती वारंट की तामील पर रोक लगा दी थी।
संसद में दिए गए बयानों पर विवाद
महेश जेठमलानी ने कोर्ट में तर्क दिया कि विवेक तन्खा की शिकायत में जिन कथित बयानों का उल्लेख किया गया है, वे राज्य विधानसभा में दिए गए थे और संविधान के अनुच्छेद 194 (2) के तहत संरक्षित हैं। इस अनुच्छेद के तहत, किसी विधायक को विधानसभा में कहे गए शब्दों के लिए किसी भी कानूनी कार्यवाही का सामना नहीं करना पड़ता।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि समन से जुड़े मामलों में जमानती वारंट जारी करने की कोई मिसाल नहीं है, खासकर जब पक्षकार अपने वकील के माध्यम से अदालत में पेश हो सकता था।
कपिल सिब्बल ने दी यह दलील
कपिल सिब्बल ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि शिवराज सिंह चौहान और अन्य भाजपा नेताओं को अधीनस्थ अदालत में पेश होना चाहिए था। उन्होंने तर्क दिया कि अगर वे पेश नहीं होते तो निचली अदालत को क्या करना चाहिए था?
मामले की पृष्ठभूमि
विवेक तन्खा ने अपनी शिकायत में कहा था कि 2021 में पंचायत चुनावों से पहले भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए मानहानिकारक बयानों के कारण उनकी छवि खराब हुई। उन्होंने 10 करोड़ रुपये के हर्जाने और आपराधिक मानहानि की कार्यवाही शुरू करने की मांग की थी।
हाईकोर्ट में भाजपा नेताओं ने इन आरोपों को खारिज करते हुए तर्क दिया कि समाचार पत्रों में छपी खबरों के आधार पर मानहानि की शिकायत दर्ज नहीं हो सकती और अधीनस्थ अदालत इसे संज्ञान में नहीं ले सकती।
निचली अदालत का आदेश और भाजपा नेताओं की अपील
20 जनवरी, 2024 को जबलपुर की एक विशेष अदालत ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 500 के तहत शिवराज सिंह चौहान, वीडी शर्मा और भूपेंद्र सिंह के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कर उन्हें तलब किया था। इसके बाद, भाजपा नेताओं ने हाईकोर्ट में अपील दायर कर मामले को खारिज करने की मांग की, जिसे कोर्ट ने 25 अक्टूबर को खारिज कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में शिवराज सिंह चौहान को व्यक्तिगत पेशी से छूट दे दी है और अगली सुनवाई 26 मार्च को होगी।
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