Chandra Shekhar Azad : ब्रिटिश पुलिस के हाथों मरने से बहतर अपनी ही पिस्तौल से खुद को मारना सही समझा
Chandra Shekhar Azad : भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली और साहसी क्रांतिकारियों में से एक चंद्रशेखर आजाद थे। उन्हें भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का एक प्रमुख नेता माना जाता है। उनके संघर्ष स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक प्रेरणादायक अध्याय हैं।
जीवनी
23 जुलाई 1906 को भाबरा गांव में चंद्रशेखर आजाद का जन्म हुआ था। उनके पिता पंडित श्रीनाथ सिंह एक समाजसेवी व्यक्ति थे। मात्र 15 वर्ष की उम्र में उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने का निश्चय किया। चंद्रशेखर आजाद ने अपनी गतिविधियों के दौरान कई बार ब्रिटिश पुलिस और सशस्त्र बलों के साथ मुठभेड़ की थी। आजाद का नारा “मैं आजाद हुँ, आजाद रहूंगा और आजाद ही मरूंगा!” साहस और स्वतंत्रता के प्रति अडिग प्रतिबद्धता का प्रतीक था। 27 फरवरी 193 सबसे दुखद और महत्वपूर्ण दिन था। जब ब्रिटिश पुलिस ने आजाद को पकड़ने के लिए घेराबंदी की, तो उन्होंने आत्मसमर्पण नहीं किया। आत्मसमर्पण करने के बजाय अपनी जिंदगी को अपने आदर्शों के साथ समाप्त करने का फैसला किया। झाँसी के अल्फ्रेड पार्क में पुलिस से मुठभेड़ की। मगर, जब उन्होंने लगा कि अब पकड़े जाने की संभावना है, तो ब्रिटिश पुलिस के हाथों मरने से बहतर उन्होंने अपनी पिस्तौल से खुद ही खुद को मारना सही समझा।
महत्वपूर्ण योजनाएं
महात्मा गांधी के नेतृत्व में चल रहे असहयोग आंदोलन से उन्होंने प्रेरणा ली थी। आजाद ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपना संघर्ष शुरू किया और जल्द ही वे क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए। ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय युवाओं को संगठित करने के लिए आजाद ने कई महत्वपूर्ण योजनाएं बनाई। काकोरी कांड आजाद का सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी अभियान था। 9 अगस्त 1925 को इसे अंजाम दिया गया था। इस योजना का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की वित्तीय संसाधनों को हड़पना था।
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