Bal Gangadhar Tilak : समाज सुधारक तिलक ने शिक्षा और जागरूकता के लिए की थी पहल
Bal Gangadhar Tilak : समाज सुधारक और राष्ट्रवादी विचारक बाल गंगाधर तिलक जो कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता थे। तिलक के विचार और कार्य स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरणादायक साबित हुए। 1890 के दशक में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए थे। Bal Gangadhar Tilak
जन्म
23 जुलाई 1856 को चिखली, महाराष्ट्र में बाल गंगाधर तिलक का जन्म हुआ था। गंगाधर रामचंद्र तिलक उनके पिता थे जो कि एक प्रसिद्ध शिक्षक और संस्कृत विद्वान थे। उन्होंने 1905 में बंगाल विभाजन के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन चलाया। जिसमें जनसमर्थन भी प्राप्त हुआ। 1 अगस्त 1920 को बाल गंगाधर तिलक का निधन हो गया।
राजनीतिक में शुरुआत
शिक्षा के दौरान भारतीय संस्कृति और इतिहास के प्रति अपनी गहरी रुचि विकसित की। जिसने उनके भविष्य के कार्यों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी राजनीतिक में शुरुआत भारतीय समाज के सुधारों से हुई। भारतीय वस्त्र उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भी कई अभियान चलाए। इस पहल से भारतीय जनता को देशी उत्पादों को अपनाया और ब्रिटिश सामान की मांग में काफी हद तक गिरावट आई।
समाज में सुधार
1880 के दशक में उन्होंने भारतीय समाज में सुधार लाने के लिए कई पहल भी की थीं। साथ ही ‘किंग्स कलेक्शन’ और ‘मर्म’ के जरिए समाज में शिक्षा और सांस्कृतिक जागरूकता फैलाने का काम किया था। उनकी प्रमुख विचारधारा “स्वतंत्रता मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है” ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को एक नई ऊर्जा से भर दिया था।
शिक्षा और जागरूकता
‘लक्ष्मी’ और ‘मराठा’ जैसे पत्रिकाओं के द्वारा समाज में शिक्षा और जागरूकता फैलाने की कोशिश की। जिसने शिक्षा को सभी वर्गों के लिए एक समान अधिकार बनाने की दिशा में काम किया। इसके लिए “गणेशोत्सव” और “शिवाजी जयंती” जैसे आयोजनों की शुरुआत की। स्वतंत्रता संग्राम के चलते उन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा कई बार जेल भेजा गया। तिलक ने 1908 में पुस्तक “गिता रहस्य” से वेदांत और भगवद गीता के शिक्षाओं को प्रसारित किया। जिसके लिए उन्हें 6 साल की कैद हुई।
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