
Aurangzeb’s Tomb Controversy : पिछले कई दिनों से नागपुर से औरंगजेब की कब्र हटाने को लेकर विवाद देखने को मिला। जिसके चलते नागपुर में हिंसा तक हुई। अब इस मुद्दे पर राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की ओर से बड़ा बयान सामने आया है।
आरएसएस नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि औरंगजेब की कब्र का मुद्दा अनावश्यक है। औरंगजेब की मृत्यु यहीं हुई थी और उनकी कब्र बनाई गई थी। छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान की कब्र बनवाकर एक मिसाल कायम की थी, यह भारत की उदारता और समावेशिता को दर्शाता है। कब्र बनी रहेगी और जो कोई भी इसे देखना चाहे, वो जा सकता है।
पीएम मोदी के महाराष्ट्र दौरे पर बोले भैयाजी जोशी
भैयाजी जोशी ने पीएम मोदी के महाराष्ट्र दौरे पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मोदी का 30 मार्च को कार्यक्रम अच्छा रहा। सेवा के प्रति उनकी रुचि कोरोना काल में देखने को मिली। उन्होंने कोरोना काल में ऊर्जा प्रदान करने का काम किया। माधव नेत्रालय का भूमि पूजन उनके हाथों संपन्न हुआ, जल्द ही यह प्रोजेक्ट पूरा होगा।
पीएम मोदी का उत्तराधिकारी पर की बात
उन्होंने संघ के उत्तराधिकारी के विषय पर भी बात की। भैयाजी जोशी ने कहा कि यह परंपरा के अनुसार होगा, पीएम मोदी के उत्तराधिकारी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। भैयाजी जोशी के अवाला महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने भी प्रधानमंत्री मोदी के उत्तराधिकारी वाले सवाल पर प्रतिक्रिया दी है।
‘व्हाट्सअप पर इतिहास पढ़ना बंद करें, इतिहास की किताबों को पढ़ें’
मुंबई के शिवाजी पार्क में वार्षिक गुड़ी पड़वा रैली को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने भ्रामक ऐतिहासिक नैरेटिव और व्हाट्सएप संदेशों के प्रति आगाह किया और इस बात पर जोर दिया कि इतिहास का अध्ययन सोशल मीडिया के बजाय विश्वसनीय स्रोतों से किया जाना चाहिए। राज ठाकरे ने छत्रपति संभाजीनगर जिले में औरंगजेब की कब्र पर विवाद पैदा करने के राजनीतिक प्रयासों की आलोचना की, इस कारण नागपुर में हिंसा हुई।
राज ठाकरे ने ऐसी बहसों की प्रासंगिकता पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘हमें पानी के स्रोतों और पेड़ों की चिंता नहीं है, लेकिन हमें औरंगजेब की कब्र की चिंता है?’ उन्होंने विभाजनकारी राजनीति का शिकार होने के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा, ‘लोगों को इतिहास के नाम पर लड़ाया जा रहा है और राजनेता संघर्ष को बढ़ावा देने के लिए इन मुद्दों का फायदा उठाते हैं।’
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