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अतुल सुभाष आत्महत्या मामले में पत्नी निकिता सिंघानिया समेत इन तीन लोगों को मिली जमानत

Atul Subhash Suicide Case : AI इंजीनियर अतुल सुभाष आत्महत्या मामले में बेंगलुरु की सिटी सिविल कोर्ट ने शनिवार (04 जनवरी, 2025) को निकिता सिंघानिया, उसकी मां निशा सिंघानिया और भाई अनुराग सिंघानिया समेत सभी आरोपियों को जमानत दे दी। इससे पहले अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। सुनवाई के दौरान निकिता सिंघानिया के वकील ने पुलिस की ओर से दिए गए उचित आधारों की अनुपस्थिति का हवाला देते हुए तर्क दिया कि उनकी गिरफ्तारी अवैध थी। अदालत ने जमानत का फैसला ऐसे समय में लिया है जब घटना के बारे में पूरी जानकारी हासिल करने के लिए आगे की जांच जारी है।

बीएनएस की धारा 108 और धारा 3(5) के तहत दर्ज हुआ था केस

बेंगलुरु कोर्ट के आदेश के बाद निकिता, निशा और अनुराग सिंघानिया को न्यायिक हिरासत में भेज गया था। इसके बाद इन्होंने अपने वकील के जरिए कोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी। बेंगलुरु पुलिस ने इनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 3(5) के तहत केस दर्ज किया है। इसमें बीएनएस की धारा 3(5) कहती है कि जब कई सारे व्यक्ति मिलकर एक ही इरादे से कोई अपराध करते हैं तो सबकी जिम्मेदारी बराबर की होती है।

धारा 108 क्या कहता है?

वहीं, धारा 108 आत्महत्या के लिए उकसाने पर लगाई गई है। यदि कोई व्यक्ति किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने पर दोषी पाया जाता है, तो उसे 10 साल की जेल की सजा हो सकती है। लेकिन इसमें एक पेंच है। पिछले साल 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात हाईकोर्ट के एक फैसले को पटलते हुए कहा था कि किसी को खुदकुशी के लिए उकसाने के मामले में तब तक दोषी नहीं ठहराया जा सकता जब तक कि ये साबित ना हो जाए कि वो डायरेक्ट मौत से जुड़ा है।

ऐसे केस में मौत की टाइमिंग भी एक अहम सबूत साबित होती है। दरअसल गुजरात में एक पत्नी की खुदकुशी के मामले में उसके पति और ससुराल वालों पर खुदकुशी के लिए उकसाने का मामला दर्ज हुआ था। गुजरात की निचली अदालत और हाईकोर्ट ने दोषियों को 10 साल की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उस फैसले को पलटते हुए उन्हें बरी कर दिया। ऐसे में यही लगता है कि अतुल के ससुराल वालों में से किसी को भी उसकी मौत का जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा।

अतुल सुभाष ने मानसिक उत्पीड़न का लगाया था आरोप

अतुल ने आत्महत्या से पहले 1 घंटे 23 मिनट का वीडियो और 24 पेज का सुसाइड नोट जारी करके अपनी पत्नी और उसके परिवार वालों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उन्होंने सिंघानिया पर मामले को निपटाने के लिए 3 करोड़ रुपये मांगने का आरोप लगाया था। अतुल ने निकिता पर कई तरह के फर्जी मुकदमे दर्ज कराने के आरोप भी लगाए थे।

बता दें कि जौनपुर की अदालत में सुभाष पर तीन मुकदमे चल रहे हैं। इसमें एक मुकदमा दहेज प्रथा और मारपीट को लेकर है जिस पर अगली सुनवाई 12 जनवरी 2025 को तय है। अतुल मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे और उनके ससुराल वाले मूल रूप से जौनपुर के हैं। हालांकि, इस मामले की सुनवाई जौनपुर फैमिली कोर्ट में चल रही थी। अतुल ने अपने आरोप में कहा था कि जज रीता कौशिक ने मामले को निपटाने के लिए उनसे 5 लाख रुपए भी मांगे थे।

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