भारत के पहले उल्का वैज्ञानिक और खगोलशास्त्री अश्विन शेखर के नाम से जाना जाएगा एक ग्रह

देश के लिए गर्व का क्षण रहा जब अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने भारतीय खगोलशास्त्री अश्विन शेखर के नाम पर एक छोटे ग्रह का नाम रखकर उन्हें सम्मानित किया। इससे पहले केवल पांच अन्य भारतीयों को ही यह सम्मान मिला है, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता सीवी रमन व सुब्रमण्यम चंद्रशेखर, महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन, खगोलशास्त्री डॉ. विक्रम साराभाई, महान खगोलशास्त्री और IAU मनाली के पूर्व अध्यक्ष कल्लाट वेणु बप्पू शामिल हैं।
शास्त्री को यह सम्मान एरिजोना में आयोजित क्षुदग्रह धूमकेतु उल्का सम्मेलन के 2023 संस्करण में दिया गया था। IAU ने कहा कि अश्विन शेखर आधुनिक भारत के पहले उल्का खगोलशास्त्री हैं। उन्होंने उल्कापिंड क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
छोटे ग्रहों के नामकरण के दो प्रकार हैं। पहला औपचारिक और दूसरा गैर-औपचारिक। औपचारिक नामकरण मशहूर हस्तियों को मानद डॉक्टरेट प्रदान करने के समान है। इसमें, खगोलशास्त्री जिस पिंड की खोज करता है, वही अपने पसंद का नाम प्रस्तावित कर सकता है।
गैर औपचारिक नामकरण के तहत, IAU शीर्ष वैज्ञानिकों में से एक नाम नामांकित करता है और साबित किया जाता है कि वह वैज्ञानिक सम्मान का असल हकदार है। गैर औपचारिक नामकरण का उद्देश्य लोगों को उनके क्षेत्रों में किए गए उत्कृष्ट कामों के लिए सम्मानित करना है।
अश्विन को इसी के तहत सम्मानित किया गया है। अश्विन के नाम पर रखे छोटे ग्रह को अब (33928) अश्विन शेखर = 2000 एलजे 27 के नाम से जाना जाएगा। अश्विन फिलहाल फ्रांस सरकार के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शिक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले पेरिस की एक वेधशाला के साथ जुड़े हुए हैं। देश का मान बढ़ाने के लिए हम उनकाअभिनंदन करते हैं।