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Hanuman Chalisa : भगवान हनुमान ने निगले सूर्य देव, जानें क्यों किया इंद्र देव ने हनुमान जी पर वज्र प्रहार ?

Hanuman Chalisa : भगवान हनुमान को समर्पित चालीसा जिसे हम सब हनुमान चालीसा के नाम से जानते है। हनुमान चालीसा तो आपने सुनी ही होगी, कुछ लोगों को तो यह कंठस्थ होती है। हनुमान चालीसा के एक दोहे में तुलसीदास जी बताते हैं–

जुग सहस्त्र जोजन पर भानु।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।

जुग का अर्थ है युग और सहस्त्र जोजन का योजन। इस दोहे में बताया गया है कि हनुमान जी ने एक युग सहस्त्र की दूरी पर स्थित सूर्य को मीठा फल समझ कर खा लिया था। साथ ही तुलसीदास जी ने उस समय पृथ्वी और सूर्ज की दूरी बताई थी। जो कि आश्र्चर्यजनक रूप से बिलकुल सटीक है।

दोहे का सार

इस दोहे के अनुसार एक दिन हनुमान जी जब नींद से जागे तो उन्हें तीव्र भूख लगी। तभी उन्हें एक पेड़ पर लाल पका फल लगा हुआ देखा। वे फल असल में सूर्य देव थे। मगर, हनुमान जी इस बात से अंजान थे। वह दिन अमावस का था और सूर्य पर राहू ग्रहण लगाने ही वाले थे कि हनुमान जी सूर्य को निगल गए। राहू कुछ समझ नहीं पाए और उन्होंने इंद्र देव से सहायता मांगी। इंद्र देव के जब बार-बार आग्रह करने पर भी हनुमान जी नहीं माने। तब इंद्र देव ने वज्र से उनके मुख पर प्रहार किया। जिससे सूर्य देव मुक्त हो गए। वज्र के प्रहार से हनुमान जी मूर्छित होकर पृथ्वी पर गिर गए।

यह देख पवन देवता बहुत क्रोधित हो गए। उन्होंने अपनी शक्ति से पूरे संसार में पायु का प्रवाह रोक दिया। जिसके कारण पृथ्वी पर त्राहि मच गई। यह विनाश देख कर सारे देवता पवन देव के पास पहुंचे। क्रोध त्याग पृथ्वी पर पवन प्रवाह करने का आग्रह किया। सभी देवताओं ने बाल हनुमान को पहले जैसा किया। साथ ही उन्हें बहुत से वर्दान भी दिए। जिसके बाद पवन देव ने पृथ्वी पर वायु का प्रवाह फिर से शुरू किया।

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