हिंदी ख़बर स्पेशल

प्रकृति को ईश्वर मानने वाला समुदाय जो सदियों से कर रहे हैं सिक्किम के जंगलों की रक्षा, जानें

सिक्किम की राजधानी गंगटोक से 70 किलोमीटर दूर स्थित जोंगु एक ऐसी जगह है जो जन्नत से कम नहीं! यह क्षेत्र प्राकृतिक खूबसूरती और जैव विविधता से भरपूर है। बढ़ती आधुनिकता के बीच जोंगु आज भी अपने जंगलों और हरियाली को सुरक्षित रखे हुए है। कैसे? इसके पीछे है यहाँ रहने वाली लेप्चा जनजाति का हाथ। इस समुदाय का सदियों से यहाँ वन संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

प्रकृति को ही ईश्वर मानने वाली यह जनजाति सिक्किम की जनसंख्या का 15% हिस्सा है। जोंगु क्षेत्र में लगभग 30 गॉंव हैं; जिसमें से ज्यादातर में लेप्चा जनजाति के लोग ही रहते हैं। यह क्षेत्र यूनेस्को विश्व धरोहर का हिस्सा, कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान के अंदर आता है। इसलिए यहाँ बिना अनुमति प्रवेश नहीं किया जा सकता।

इस अनोखी और खूबसूरत जगह के ज्यादातर लोग चावल, सुगंधित इलायची, बाजरा, मक्का और गेहूं की खेती करते हैं। लेप्चा लोग ‘जोंगू’ को ‘मयाल लियांग’ कहते हैं; जिसका अर्थ है ‘देवताओं के आशिर्वाद से प्राप्त भूमि’। लेप्चा समुदाय के लोग पूरी तरह से जंगलों पर ही निर्भर करते हैं। वह एक सस्टेनेबल और इको फ़्रेंडली लाइफस्टाइल जीते हैं। यह समुदाय प्रकृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

Related Articles

Back to top button