Uttarkashi Tunnel Rescue: सेना की मदद से रैट माइनर्स ने शुरू की खोदाई

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Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तरकाशी की सिलक्यारा में फंसे 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए छह सदस्य रैट माइनर्स की टीम भी पहुंची है। सोमवार शाम सेना की मदद से टीम ने हाथों से खुदाई करना शुरू कर दिया है। अब तक एक मीटर पाइप आगे बढ़ाया जा चुका है। ऑगर मशीन के फेल होने के बाद हाथ से खोदाई कराने का फैसला किया गया है।

पहाड़ के ऊपर से वर्टिकल डिर्लिंग का काम भी जारी है। 36 मीटर से अधिक की खुदाई हो चुकी है। सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण करने वाली सेना की इकाई सीमा सड़क संगठन (BRO) के पूर्व मुख्य इंजीनियर और बचाव अभियान में जुटे लेफ्टिनेंट जनरल (Retired) हरपाल सिंह ने बताया कि 36 मीटर तक वर्टिकल ड्रिलिंग कर ली गई है। जमीन के अंदर की स्थिति जानने के लिए छह इंच के पाइप को 70 मीटर तक बोर किया गया है और सबकुछ ठीक मिला है। 800 एमएम व्यास के पाइप को बोर करने के लिए फ्रेम तैयार कर लिया है। सबकुछ ठीक रहा तो अगले एक से डेढ़ दिन में 10 मीटर तक बोर किया जा सकता है।

हरपाल सिंह ने बताया कि होरिजॉन्टल ड्रिलिंग के दौरान 800 एमएम के पाइप में फंसे ऑगर मशीन के मलबे को निकाल लिया गया है। पाइप के जिस 1.5 मीटर हिस्से को काटकर अलग किया था, उसे निकालकर हाथ से खोदाई शुरू कर दी है। गौरतलब है कि रैट माइनिंग आमतौर पर कोयला उत्खनन के लिए किया जाता है, खासकर ऐसी जगहों पर जहां मशीन जाने के लिए जगह नहीं होती।

रैट माइनिंग की टीम सिलक्यारा पहुंची

हरपाल सिंह ने बताया कि रैट माइनिंग टीम के दो सदस्य पाइप में घुसेंगे। इनके पास छोटे फावड़े, छोटी ट्रॉली, ऑक्सीजन मास्क व हवा को सर्कुलेट करने के लिए एक ब्लोअर होगा।

एक सदस्य खोदाई करेगा, दूसरा मलबा ट्रॉली में भरेगा। फिर ट्रॉली बाहर खींच ली जाएगी। चूंकि एक बार में ट्रॉली में छह से सात किलो मलबा ही बाहर आएगा, इसलिए इसमें समय लगेगा। एक टीम के थकने पर दूसरी अंदर जाएगी। इस रास्ते से 8 से 10 मीटर खोदाई करनी है। सेना के मद्रास शैपर्स की 30 सदस्यीय टीम मदद कर रही है।

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