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Natural Farming: क्या है नेचुरल फार्मिंग? जानें इसके फायदे

Natural Farming
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Natural Farming: गुरुवार को नेचुरल फार्मिंग कॉन्क्लेव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कृषि सेक्टर के लिए आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने बताया कि ये कॉन्क्लेव देश पर अपना प्रभाव छोड़ेगा। संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे पहले की खेती के समस्याएं विकराल हो जाएं, हमें खेती को प्राकृतिक लैब से जोड़ना होगा।

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क्या है नेचुरल फार्मिंग ?

नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) यानि प्राकृतिक खेती। नेचुरल फार्मिंग कृषि की कई पद्धतियों में से एक है। इस पद्धति के अनुसार, खेती में किसी भी तरह के कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता। नेचुरल फार्मिंग के चार सिद्धांत सबसे प्रचलित हैं और ऐसा माना जाता है कि इन सिद्धांतों के तहत नेचुरल फार्मिंग संभव नहीं है।

  1. खेत की जुताई पर रोक: नेचुरल फार्मिंग के इस सिद्धांत के तहत खेती के दौरान जुताई या मिट्टी पलटने को सही नहीं माना जाता। ऐसा माना जाता है कि धरती की जुताई केचुंए और छोटे जीवाणुओं के जरिए कर ली जाती है।
  2. उर्वरक पर रोक: फसलों की क्षमता को बढ़ाने के लिए उर्वरक के प्रयोग पर रोक लगाने की बात नेचुरल फार्मिंग में की जाती है।
  3. रसायन के प्रयोग पर रोक: नेचुरल फार्मिंग करने के दौरान बोये गए फसलों में रसायन के प्रयोग पर रोक लगाने की बात की जाती है।
  4. खेतों की निंदाई-गुडाई पर रोक

नेचुरल फार्मिंग की आवश्यकता

दुनिया भर में लोगों के बदलते जीवनयापन के तरीके, स्वास्थ्य कारणों को देखते हुए नेचुरल फार्मिंग की आवश्कता पर जोर दिया जा रहा है। खेती में अधिक मुनाफा पाने के लिए भी किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर जाने की जरुरत है क्योंकि फसल के मुनाफे का आधा हिस्सा कीटनाशक और उर्वरक में चला जाता है।

कृत्रिम खाद और कीटनाशक के प्रयोग से फसल की गुणवत्ता पर असर पड़ता है। नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) के जरिए फसल को कम कीमत पर तैयार किया जा सकता है। प्राकृतिक तरीके से फसल तैयार करने पर मिट्टी में जरुरी पोषक तत्व की उपस्थिति बनी रहती है।

नेचुरल फार्मिंग (Natural Farming) के फायदे

प्राकृतिक खेती Natural Farming) के फायदे को तीन आधार पर बांटा गया है। जमीन, पर्यावरण और किसान। प्राकृतिक खेती के दौरान प्रयोग किए जाने वाले जैविक खाद से मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार आता है। मिट्टी में पानी सोखने की क्षमता का विकास होता है। मिट्टी में नमी की मात्रा बनी रहती है।

Natural Farming से पर्यावरण को भी काफी फायदा मिलता है। जैसे कूड़े-कचरे का प्रयोग कर जैविक खाद बनाना, जलस्तर की वृद्धि, किसानों को कम लागत पर फसल तैयार करने पर अच्छी आमदनी होती है। फसलों की उत्पादकता में वृद्धि होती है। सिंचाई को लेकर परेशानियां कम हो जाती हैं क्योंकि सिंचाई के अंतराल में अंतर आ जाता है। 

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