UP: गुजरात से प्रयागराज पहुंचा अतीक, वापसी की डगर नहीं होगी आसान

UP: उमेश पाल हत्याकांड मामले में पेशी के लिए माफिया अतीक अहमद को साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया है। अतीक को सोमवार की शाम 45 पुलिस टीम की देखरेख में प्रयागराज लाया गया। अतीक अहमद की उमेश पाल अपहरण कांड में आज एमपी-एमएलए कोर्ट में पेशी होनी है।
अतीक को मिलेगी गुनाहों की सजा UP
उमेश पाल हत्याकांड मामले में पेशी के लिए माफिया अतीक अहमद को साबरमती जेल से प्रयागराज लाया गया है। अतीक को सोमवार की शाम 45 पुलिस टीम की देखरेख में प्रयागराज लाया गया। अतीक प्रयागराज पहुंच तो गया लेकिन अब माना जा रहा है कि गुजरात वापसी की राह आसान नही होगी।
अतीक अहमद को उमेश पाल अपहरण कांड के बाद राजूपाल हत्याकांड में भी सजा सुनाई जानी है। माना जा रहा है कि उमेश पाल की हत्या के मामले में अतीक से पूछताछ के लिए पुलिस कोर्ट में अर्जी देगी। और हत्याकांड में मुख्य आरोपी होने की वजह से कोर्ट अतीक को पुलिस कस्टडी रिमांड पर भेज देगी। वहीं अदालत की मंजूरी मिलने पर उससे गहन पूछताछ की जाएगी। पूछताछ खत्म होते होते राजूपाल हत्याकांड पर भी फैसला आने की उम्मीद है। उमेश पाल हत्याकांड के बाद से प्रदेश सरकार अतीक के खिलाफ दर्ज मुकदमों पर मजबूती से कार्रवाई में जुटी है। इन हालातों में अतीक की गुजरात वापसी की राह आसान नहीं दिख रही है।
अतीक के खिलाफ प्रशासन मुस्तैद UP
सभी आरोपियों के अपराधों को देखते हुए अभियोजन निदेशालय अतीक और उसके गैंग के सदस्यों के खिलाफ मुस्ताद हो गई है। इसी कड़ी में आरोपियों के खिलाफ अदालत में चल रहे पांच अन्य मुकदमों की पैरवी तेज कर दी गई है। इन मुकदमों में 19 जनवरी 1996 में प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में अशोक कुमार साहू की हत्या का मामला शामिल है। इस मामले में अतीक और अशरफ भी आरोपी हैं। साथ ही 2002 में जमीनी विवाद में नसीम अहमद की हत्या का मामला भी शामिल है। जानकारी के मुताबिक अतीक अहमद के खिलाफ 1992 से अबतक कुल सौ मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं।
अतीक के अपराधों की सूची है लंबी
बता दें कि माफिया अतीक अहमद पर हत्या के कुल 12 मुकदमे दर्ज किए जा चुके हैं। जिनमें से कुछ मुकदमों में अतीक अहमद को बरी भी किया जा चुका है। आईये सभी 12 मुकदमों में से कुछ से आपका ताल्लुख कराते हैं। 1984 में प्रयागराज के खुल्दाबाद में, 2001 में करैली में दर्ज हत्या के मुकदमों में अतीक को बरी किया गया। साथ ही 1991 में कौशांबी के पिपरी थाने में और 2002 में कर्नलगंज में दर्ज हत्या के मुकदमों में उसे बरी किया जा चुका है।
2005 में हुए राजूपाल हत्याकांड में धूमनगंज थाने में दर्ज मुकदमे में गवाह पेश किया गया है। साथ ही 2002 के नसीम अहमद हत्याकांड में खुल्दाबाद थाने में दर्ज मुकदमे के गवाह भी पेश कए जा चुके हैं। इसके साथ ही 1996 में सिविल लाइंस इलाके में दर्ज मुकदमे हाजिरी लगाई गई है। साथ ही 1995 में कर्नलगंज थाने में दर्ज हत्या के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है।
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