मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पण के लिए अमेरिकी SC से मिली मंजूरी

Tahawwur Rana
Tahawwur Rana : तहव्वुर राणा के लिए भारत को प्रत्यर्पित नहीं किए जाने का यह आखिरी कानूनी मौका था। इसके पहले राणा अमेरिकी अपील न्यायालय सहित कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई हार गया था।
अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई हमले के दोषी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा के दोषसिद्धि के खिलाफ समीक्षा याचिका को खारिज कर दिया है। भारत पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा के प्रत्यर्पण की मांग कर रहा था क्योंकि वह साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मामले में वांछित है।
आखिरी कानूनी मौका था
तहव्वुर राणा के लिए भारत को प्रत्यर्पित नहीं किए जाने का यह आखिरी कानूनी मौका था। इसके पहले वह अमेरिकी अपील न्यायालय सहित कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई को हार गया था। 13 नवंबर को राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रमाणपत्र के लिए याचिका दायर की। डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद 21 जनवरी को शीर्ष अदालत ने इसे अस्वीकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा याचिका अस्वीकार की गई। तहव्वुर राणा वर्तमान में लॉस एंजिल्स में मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में हिरासत में है।
प्रत्यर्पण की मांग की थी
दोषी तहव्वुर राणा ने तर्क दिया कि उसे इलिनोइस (शिकागो) की संघीय अदालत में साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले से संबंधित आरोपों पर मुकदमा चलाया गया और बरी कर दिया गया था। भारत ने भी उन्हीं आरोपों के आधार पर प्रत्यर्पण की मांग की थी, जिनके आधार पर शिकागो की अदालत ने राणा को बरी कर दिया था। हालांकि अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल ने कहा था कि सरकार यह नहीं मानती कि जिस आचरण के लिए भारत प्रत्यर्पण चाहता है, वह इस मामले में कवर हो चुका है। तहव्वुर तहव्वुर राणा अमेरिकी अपील न्यायालय सहित निचली अदालतों व कई संघीय अदालतों में कानूनी लड़ाई को हार चुका है। अब तहव्वुर राणा ने नई याचिका से अपना प्रत्यर्पण रोकने की आखिरी कोशिश की।
सिफारिश को चुनौती दी
अमेरिकी सरकार भी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के लिए तैयार है और बीते साल 16 दिसंबर को ही अमेरिकी सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी प्रीलोगर ने सुप्रीम कोर्ट से तहव्वुर राणा की याचिका को खारिज करने की अपील की थी। तहव्वुर राणा के वकील ने अमेरिकी सरकार की सिफारिश को चुनौती दी और शीर्ष अदालत से अनुरोध किया कि उसकी रिट स्वीकार की जाए।
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