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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, मुस्लिम महिलाएं भी ले सकती हैं गुजारा भत्ता

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के मामले में बड़ा फैसला लिया है. कोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि सीआरपीसी की धारा-125 के तहत मुस्लिम महिलाएं भी अब गुजारा भत्ता की मांग कर सकती हैं.

40 साल पहले की समस्या समाप्त हुई- सुधांशु त्रिवेदी

वहीं इस मामले में सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि, मैं चुनौती देकर कहता हूं कि ऐसा कोई धर्मनिरपेक्ष देश बताइए, जहां सुप्रीम कोर्ट से उपर शरिया हो। आज का फैसला हमें याद दिलाता है कि जब-जब कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई है, संविधान को नुकसान पंहुचाया है। आज के फैसले से 40 साल पहले की समस्या समाप्त हुई है। मुस्लिम महिलाओं को इस फैसले से बहुत बड़ी राहत मिली है और मानवीय संवेदना का मार्ग प्रशस्त हुआ है। मजहबी मामले से अलग हटकर मैं कहूंगा कि यह महिलाओं को समान रूप से सम्मान और अधिकार देने का फैसला है, जिसका हम सब स्वागत करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में सुनाया फैसला

तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को गुजारा भत्ता देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि, यह फैसला सभी घर्म की महिलाओं पर लागू होगा. साथ ही मुस्लिम महिलाएं भी इसका सहारा ले सकती हैं. इसके लिए उन्हें सीआरपीसी की धारा-125 के तहत कोर्ट में याचिका दायर कर सकती हैं. बता दें कि इस मामले में जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह ने फैसला सुनाया है.

क्या है पूरा मामला ?

बता दें कि यह पूरा मामला अब्दुल समद नाम के व्यक्ति से सम्बन्धित हैं. हाल ही में तेलंगाना हाईकोर्ट ने अब्दुल समद को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था. कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अब्दुल समद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. अब्दुल समद द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि उनकी पत्नी सीआरपीसी की धारा-125 के अंतर्गत गुजारा भत्ता मांगने की हकदार नहीं है. उसे मुस्लिम महिला अधिनियम-1986 के तहत चलना होगा. वहीं अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिला के पक्ष में फैसला सुनाया है.

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