न्यायिक सेवा में रुचि रखने वाले छात्रों को मिले मौका : राष्ट्रपति मुर्मू

New Delhi: शीर्ष न्यायालय में संविधान दिवस के मौके पर आयोजित हुए एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शिरकत की। इस दौरान राष्ट्रपति ने कई मुद्दों पर खुलकर बात की।
मैं बच्चों के साथ बात-चीत करती हूं
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रपति बनने के बाद मुझे कई केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम सहित अन्य संस्थानों का दौरा करने का अवसर मिला। मैं बहुत भाग्यशाली हूं। क्योंकि, मैं वहां के बच्चों के साथ बात-चीत करती हूं। वे बहुत प्रतिभाशाली हैं।
कुछ करने की आवश्यकता है
मैं कभी कभी उनसे पूछती हूं कि वे क्या बनना चाहते हैं? कुछ कहते हैं आईएएस, आईपीएस और अन्य कहते हैं कि वे न्यायपालिका में जाना चाहते हैं। कुछ करने की आवश्यकता है। ताकि, वे न्यायपालिका में आसानी से आ सकें।
पूरी प्रणाली को नागरिक-केंद्रित बनाने की आवश्यकता
भारत के शीर्ष न्यायालय द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि न्याय की मांग करने वाले नागरिकों के लिए लागत और भाषा एक बड़ी बाधा है। उन्होंने कहा कि न्याय तक पहुंचने के लिए पूरी प्रणाली को नागरिक-केंद्रित बनाने की जरुरत है।
एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा हो
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि एक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा हो। जो प्रतिभाशाली युवाओं का चयन करें और निचले-स्तर से लेकर उच्च-स्तर तक अपनी प्रतिभा को बढ़ावा दे। राष्ट्रपति ने कहा कि जो लोग न्यायिक सेवा करने की इच्छा रखते हैं, उन्हें प्रतिभा का बड़ा पूल बनाने के लिए देश भर से चुना जा सकता है।
…और अधिक प्रयास होने चाहिए
राष्ट्रपति मुर्मू ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसी प्रणाली कम प्रतिनिधित्व वाले सामाजिक समूहों को भी मौके प्रदान कर सकती है। उन्होंने आगे कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रतिभाशाली बच्चों को न्यायपालिका में आसानी से प्रवेश सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास होने चाहिए।
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