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राजस्थान पुलिस को मिली बड़ी कामयाबी, एस्कॉर्ट सर्विस के नाम पर फर्जी वेबसाइट चलाने वाले गिरोह का किया पर्दाफाश

rajasthan police arrested gang who created fake website for escort service
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Rajasthan News: राजस्थान पुलिस को साइबर फ्रॉड के केस में एक बड़ी कामयाबी मिली है। राज्य में हर रोज साइबर फ्रॉड के कई सामने आ रहे हैं। इसी क्रम में गोवर्धन विलास थाना पुलिस की टीम ने ऑनलाइन एस्कॉर्ट सर्विस उपलब्ध कराने का झांसा देकर ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने (Rajasthan News) बड़ी ही चालाकी से गिरोह के चार लोगों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने गिरफ्तार किए आरोपियों के पास से मोबाइल और एटीएम कार्ड समेत एक हिसाब-किताब की डायरी भी जब्त की है।

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Rajasthan News: क्या है मामला?

एसपी योगेश गोयल ने मामले में जानकारी मीडिया को देते हुए बताया कि गोवर्धन विलास थाना में सूचना मिली थी कि दक्षिण विस्तार योजना के एक मकान में कुछ लोगों ने ऑनलाइन एस्कॉर्ट सर्विस उपलब्ध कराने का सेंटर बनाया है। जो कि फ्रॉड कर रहे हैं। सूचना पर एडिशनल एसपी गोपाल स्वरूप मेवाड़ा के सुपरविजन और सीओ गजेंद्र सिंह राव के निर्देशन में थाना स्तर पर एक टीम बनाई गई।

मकान पर छापा मारा गया। बता दें कि गिरफ्तार आरोपियों ने एस्कॉर्ट सर्विस देने से जुड़ी एक फर्जी वेबसाइट बना रखी है। आरोपी उपलब्ध नंबर पर आने वाले व्हाट्सएप नंबर पर कॉल करने वाले व्यक्तियों को झांसा देते थे और उनसे पैसे ऐंठते थे।

ऐसे बिछाते थे जाल

पुलिस की जांच में सामने आया कि आरोपियों ने SKOKKA व SDUKO नाम की फर्जी वेबसाइट बना रखी है। वेबसाइट पर एस्कॉर्ट्स उपलब्ध कराने का विज्ञापन दिया गया था। इसे साथ ही एक व्हाट्सएप नंबर भी दिया गया था। जब भी कोई इस नंबर पर कॉल करता था तो आरोपी उस वयक्ति को कई लड़कियों की फोटोग्राफ दिखाकर, उनमें से कोई एक सिलेक्ट करने के लिए कहते हैं। ग्राहक के फोटो सिलेक्ट करते ही ठगी का खेल शुरू हो जाता है।

500 से 1000 रूपए तक लेते थे एडवांस

जब ग्राहक फोटो सिलेक्ट कर लेता था तो उस के बाद ये लोग 500 या 1000 रुपये एडवांस में जमा करवाने के लिए कहते थे। इसके बाद सिक्योरिटी राशि के नाम पर और रकम मांगते थे। मामला यहीं नहीं रूकता है, इसके बाद अलग-अलग चार्जेस के नाम पर और राशि भेजने के लिए कहा जाता है। ग्राहक को जब थोड़ा अंदेशा होता है और वह रुपये देने से मना करने लगता है तो उसका व्हाट्सएप नंबर ब्लॉक कर देते हैं। ऐसे में ग्राहक का ठगों से संपर्क टूट जाता है और फिर वह लोकलाज के डर से घटना की रिपोर्ट पुलिस में भी दर्ज नहीं कराते।

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