Advertisement

Social Media: जनहित याचिका दायर करने का आधार नहीं हो सकता है सोशल मीडिया

Share
Advertisement

Social Media: बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को सोशल मीडिया से प्राप्त जानकारी के आधार पर जनहित याचिका (पीआईएल) दायर करने के लिए एक वकील को फटकार लगाई। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने वकील अजीतसिंह घोरपड़े द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें महाराष्ट्र सरकार को राज्य में झरनों और जल निकायों पर जाने वाले लोगों की सुरक्षा के लिए उपाय करने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

Advertisement

Social Media: 1500 से 2000 लोग गवां देते हैं जान

याचिका में बताया गया है कि हर साल असुरक्षित झरनों और जलाशयों का दौरा करते समय लगभग 1,500 से 2,000 लोग अपनी जान गंवा देते हैं। खंडपीठ ने इस जानकारी का स्रोत जानना चाहा। याचिकाकर्ता के वकील मणिंद्र पांडे ने दावा किया कि उन्होंने समाचार पत्रों और सोशल मीडिया पोस्ट से जानकारी हासिल की थी। इसपर न्यायालय प्रभावित नहीं हुआ और याचिका को अस्पष्ट पाया।

मौलिक अधिकार है उल्लंघन

कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, “सोशल मीडिया से एकत्र की गई जानकारी किसी जनहित याचिका में दलीलों का हिस्सा नहीं हो सकती। आप जनहित याचिका दायर करते समय इतने गैर-जिम्मेदार नहीं हो सकते। आप न्यायिक समय बर्बाद कर रहे हैं। कोई पिकनिक मनाने जाता है और दुर्घटनावश डूब जाता है, इसलिए यह जनहित याचिका है? कोई व्यक्ति डूब जाता है।” दुर्घटना, यह कैसे अनुच्छेद 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है”

ये भी पढ़ें- United Nation: इज़राइल-हमास युद्ध में यौन हिंसा बना व्यापक हथियार

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *