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दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने किया तिहाड़ जेल के महिला सेल का निरीक्षण, जेल प्रशासन और सरकार को दिए ये सुझाव

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नई दिल्ली: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने अपनी टीम के साथ शनिवार को दिल्ली की तिहाड़ महिला जेल का निरीक्षण किया। निरीक्षण से पहले स्वाति ने तिहाड़ के डीजी एवं अन्य उच्चाधिकरियों से मुलाकात की और उनसे जेल से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा की। जेल अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इस वक़्त तिहाड़ महिला जेल में 276 कैदी रह रहे हैं जिनमें से 240 पर अभी मुकदमा चल रहा है, 35 को कोर्ट सज़ा सुना चुका है।

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आयोग की टीम जब जेल परिसर के अंदर पहुंची तो उन्होंने पाया की एक छोटे से सेल में 3 महिलाओं को रखा जाता है और उसी सेल के अंदर बिना किसी दरवाज़े या दीवार के शौचालय बना हुआ है जो की सेल के अंदर रह रहे कैदियों के लिए एक अमानवीय स्थिति बनाता है। आयोग ने प्रशासन को सुझाव दिया है की इन सेल में बने टॉयलेट को दीवार और दरवाज़ा बनाकर ढका जाए। जेल परिसर के अंदर एक लीगल सेल चलाया जाता है जिसमें एक वकील दोपहर 3 बजे के बाद आता हैं और कैदियों की सहायता करता हैं। आयोग का सुझाव है की जेल के कैदियों की संख्या को देखते हुए कम से कम 5 वकील जेल परिसर में सुबह से शाम तक उपलब्ध रहे हैं जो कैदियों को उनके केस से जुड़े मुद्दों पर सहायता कर पाएं।

तिहाड़ जेल के अधिकारियों ने बताया की कोरोना काल से पहले जेल में “मुलाकात” नामक कार्यक्रम चलाया जाता था जिसमें कैदियों के परिजन उनसे एक सिस्टम के ज़रिए मिल पाते थे। कोरोना के चलते “मुलाकात” कार्यक्रम को स्थगित किया गया है। आयोग का सुझाव है की जबतक कोरोना के केस कम हैं तब तक कम से कम इस कार्यक्रम को पुनः शुरू किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त जेल में रहते हुए कैदियों को अपने परिजन से फोन और डाक के ज़रिए बात करने की जो सुविधा मिलती है उसमे भी सुधार की आवश्यकता है।

तिहाड़ परिसर में सरकार द्वारा कैदियों के पुनर्वास के लिए कई बेहतरीन सुविधाएं दी जाती है। महिला जेल में फैशन डिजाइनिंग, मेक अप कोर्स, कंप्यूटर कोचिंग, योग इत्यादि की सुविधाएं हैं परन्तु कोरोना के चलते इन सब कोर्स के टीचर अब उपलब्ध नहीं है। आयोग का सुझाव है की अच्छे टीचर्स को लाकर इन कोर्सेज को पुनः शुरू करवाया जाए।

जेल में काम करने वाली महिलाओं को जेल द्वारा प्रतिदिन न्यूनतम मज़दूरी मिलनी होती हैं लेकिन एक ऑर्डर के तहत उनके वेतन में से उनके रख रखाव के शुल्क के नाम पर ₹340 काट लिए जाते हैं। अन्य कैदी जो काम नहीं करते उन्हें ऐसा कोई शुल्क नहीं देना पड़ता। आयोग के अनुसार ये शुल्क मेहनत करके कमाने का प्रयास करने वालों के साथ भेदभाव है और इसलिए शुल्क को समाप्त या कम करने की आवश्यकता है।

तिहाड़ में रह रही महिलाएं कपड़े, ऑफिस फाइल, बिस्किट, नमकीन इत्यादि का उत्पादन करती हैं और इीलिए समान को तिहाड़ अपने स्टोर्स में TJ ब्रांड के नाम से बेचता है। आयोग का सुझाव है की तिहाड़ की महिलाओं द्वारा बनाए जा रहे समान को सरकारी विभागों में भी इस्तेमाल किया जाए और इस समान को Amazon, Grofers इत्यादि पर बेचने के प्रयास किए जाएं क्योंकि इस समान की बिक्री से आने वाला पैसा इन महिलाओं और उनके साथ रह रहे बच्चों के पुनर्वास के लिए इस्तेमाल होता है।

जेल में रह रही महिलाएं जिनके बच्चे बेहद छोटे हैं उन्हें भी जेल परिसर में मां के पास रखा जाता है, उन बच्चों की देखभाल के लिए जेल में अच्छी सुविधाओं से युक्त क्रेश की सुविधा मौजूद है। आयोग का सुझाव है की क्रेश के लिए भी अच्छे टीचर और केयर टेकर लाकर बच्चों की और बेहतर देखभाल हो सकती है। इसकी अतिरिक्त आयोग ने जेल कर्मियों के सेंसिटाइजेशन, महिला कैदियों के पुनर्वास के लिए प्लान, लाइब्रेरी में किताबों की संख्या बढ़ाए जाने और नशा मुक्ति कार्यक्रमों पर भी ध्यान देने के सुझाव दिए हैं।

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने कहा, हमने तिहाड़ की महिला जेल का निरीक्षण किया। इनमे से 80% महिलाएँ वो हैं जिनके केस कोर्ट में चल रहे है और उन्हें अभी तक सज़ा नही हुई है। ये ज़रूरी है की जेल का रख रखाव बेहतर हो जिससे की जब ये महिलाएँ वापिस समाज में आएँ, वो अपनी ज़िंदगी एक नय सिरे से शुरू कर पाएँ। इसी के मद्देनजर हम सरकार और जेल प्रशासन को ये सुझाव भेज रहे हैं। रिपोर्ट- कंचन अरोड़ा

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