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Women Reservation Bill पर मोदी के साथ नीतीश, क्या होगा लालू का?

Women Reservation Bill पर मोदी के साथ नीतीश, क्या होगा लालू का?

Women Reservation Bill पर मोदी के साथ नीतीश, क्या होगा लालू का?

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बिहार की सत्ताधारी नीतीश कुमार की पार्टी ने महिला आरक्षण बिल का समर्थन किया है। सीएम नीतीश ने इसके समर्थन में सोशल साइट एक्स पर लंबा-चौड़ा लेखा है। वहीं, बिहार की सत्ता में भागीदार लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल का स्टैंड नीतीश कुमार से थोड़ा अलग है। महिला आरक्षण बिल पर पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के सोशल मीडिया अकाउंट एक्स से एक के बाद कई ट्वीट किए गए, मगर इसमें मोदी सरकार की महिला आरक्षण बिल की आलोचना की गई है।

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बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि संसद में जो महिला आरक्षण बिल लाया गया है, वो स्वागत योग्य कदम है। हम शुरू से ही महिला सशक्तिकरण के हिमायती रहे हैं और बिहार में हमलोगों ने कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं। वर्ष 2006 से हमने पंचायती राज संस्थाओं और वर्ष 2007 से नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिया।

वर्ष 2006 से ही प्रारंभिक शिक्षक नियोजन में महिलाओं को 50 प्रतिशत और वर्ष 2016 से सभी सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। वर्ष 2013 से बिहार पुलिस में भी महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। आज बिहार पुलिस में महिला पुलिसकर्मियों की भागीदारी देश में सर्वाधिक है।

बिहार में मेडिकल और इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी के अन्तर्गत नामांकन में न्यूनतम 33 प्रतिशत सीटें छात्राओं के लिए आरक्षित की गई हैं। ऐसा करनेवाला बिहार देश का पहला राज्य है।

हमलोगों ने वर्ष 2006 में राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए परियोजना शुरू की जिसका नामकरण ‘जीविका’ किया। बाद में तत्कालीन केंद्र सरकार की ओर से इसकी तर्ज पर महिलाओं के लिए आजीविका कार्यक्रम चलाया गया। बिहार में अब तक 10 लाख 47 हजार स्वयं सहायता समूहों का गठन हो चुका है, जिसमें 1 करोड़ 30 लाख से भी अधिक महिलाएं जुड़कर जीविका दीदियां बन गई हैं।

हमारा मानना है कि संसद में महिला आरक्षण के दायरे में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की तरह पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए भी आरक्षण का प्रावधान किया जाना चाहिए।

प्रस्तावित बिल में ये कहा गया है कि पहले जनगणना होगी और उसके पश्चात निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन होगा। इसके बाद ही इस प्रस्तावित बिल के प्रावधान लागू होंगे। इसके लिए जनगणना का काम शीघ्र पूरा किया जाना चाहिए। जनगणना तो वर्ष 2021 में ही हो जानी चाहिए थी, परन्तु ये अब तक नहीं हो सकी है। जनगणना के साथ जातिगत जनगणना भी करानी चाहिए, तभी इसका सही फायदा महिलाओं को मिलेगा। अगर, जातिगत जनगणना हुई होती तो पिछड़े और अतिपिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था को तुरंत लागू किया जा सकता था।

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